बढ़ रहा किराया, घट रहे हजयात्री
हज किराये में वर्ष दर वर्ष वृद्धि ने लोगों की कमर तोड़ दी है। आलम यह है कि विगत एक दशक के दौरान हज किराए में दो से सवा दो लाख से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। विगत वर्ष हज कमेटी ने 40 हजार की वृद्धि किया था तो इस बार भी 15 से 20 हजार वृद्धि की आशंका जताई जा रही है। आगामी 15 मई के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा।
जासं, भदोही : हज किराये में हर वर्ष वृद्धि ने लोगों की कमर तोड़ दी। एक दशक के दौरान हज किराए में दो से सवा दो लाख बढ़ोत्तरी हो चुकी है। विगत वर्ष हज कमेटी ने 40 हजार रुपये वृद्धि कर दी थी तो इस बार भी 15 से 20 हजार वृद्धि की आशंका जताई जा रही है। 15 मई के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा। जैसे-जैसे किराये में इजाफा हो रहा है, उसी तरह हज यात्रियों की संख्या घटती जा रही है। एक दशक पहले जहां 200 से 250 लोग हजयात्रा पर जाते थे वहीं अब जनपद को मिला 144 कोटा पूरा नहीं हो रहा है। वर्ष 2018 में 128 लोगों ने हज किया था तो इस बार महज 89 लोगों ने आवेदन किया था। जिनमें से आधा दर्जन आवेदक विभिन्न कारणों से रद करा चुके हैं।
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144 का कोटा नहीं हो सका पूरा
तीन वर्ष में जिले को मिला 144 का कोटा पूरा नहीं हो सका। वर्ष 2017 में 96 लोगों को हज का अवसर मिला था तो 2018 में 128 लोगों ने हजयात्रा की थी। इस बार 89 लोगों ने आवेदन किया था जिनमें से आधा दर्जन की यात्रा विभिन्न कारणों से रद हो गई है। यानी अब महज 83 लोग बचे हैं।
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किराए व खर्च में दिन दूनी और रात चौगुनी वृद्धि
एक दशक पूर्व के सापेक्ष हज किराए में दो से सवा दो लाख की वृद्धि हो चुकी है। वर्ष 2007-08 में जहां एक व्यक्ति को 70 से 90 हजार रुपया खर्च करना पड़ा था। वहीं वर्ष 2019 में उक्त धनराशि उछल कर तीन लाख के आसपास जा पहुंची। यह किराया ग्रीन कैटेगरी वालों का है जबकि अजीजिया के जायरीनों को लगभग दो लाख 60 हजार जमा करने होंगे। विगत वर्ष किराए में पूरे 40 हजार की वृद्धि की गई थी जबकि इस बार भी 15 से 20 हजार वृद्धि की आशंका है।
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2011 से 2019 तक हज किराया
वर्ष कैटेगरी ग्रीन अजीजिया
2011 1.19 लाख 1.02 लाख
2012 1.33 लाख 1.14 लाख
2013 1.42 लाख 1.19 लाख
2014 1.62 लाख 1.34 लाख
2015 1.85 लाख 1.55 लाख
2016 2.14 लाख 1.81 लाख
2017 2.39 लाख 2.06 लाख
2018 2.80 लाख 2.45 लाख
2019 2.95 लाख 2.60 लाख
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चित्र 13
फलों की कीमत में उछाल
माहे रमजान के मद्देनजर मांग बढ़ते ही फलों की कीमत आसमान छूने लगी है। 120 रुपये किलो वाला सेब 140 तक जा पहुंच गया है। रोजा इफ्तार के दस्तरख्वान पर देखे जाने वाले तरबूज, खरबूजा तथा पपीते की कीमत में उछाल आ गया है। तरबूज 20 से 25 रुपये, खरबूजा 25 से 30, आम 60 से 120, अनार 120 से 160, केला 60 से रुपये दर्जन बिक रहे हैं। शाम होते ही अजीमुल्लाह चौराहे स्थित फलों की दुकानों पर रोजेदारों की भीड़ जमा हो जाती है।
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उलेमा की नजर में रमजान
मुबारक का महत्व
भदोही : इस्लाम धर्म में रमजान की एक खास अहमियत है। कुरान शरीफ आसमान से उतारी गई थी। रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। मुसलमान सब्र व संयम वाले इस महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। मदरसा शमसिया तेगिया के प्रिसिपल मौलाना फैसल हुसैन अशरफी का कहना है कि रमजान में बंदों पर अल्लाह ताअला की खास रहमतें बरसती हैं।
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