उन्नत प्रजाति व बीज शोधन से बढ़ेगा अरहर का उत्पादन
खरीफ अभियान की प्रमुख दलहन फसल अरहर की बोआई के लिए मुफीद समय आ गया है। किसान पूरे जुलाई तक बोआई कर सकते हैं। मौजूदा समय में हो रही बारिश के बीच जैसे ही मौसम साफ दिखे किसानों को बोआई कर देनी चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक डा. आरपी चौधरी ने बताया कि
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : खरीफ अभियान की प्रमुख दलहन फसल अरहर की बोआई के लिए मुफीद समय आ गया है। किसान पूरे जुलाई तक बोआई कर सकते हैं। मौजूदा समय में हो रही बारिश के बीच जैसे ही मौसम साफ दिखे, किसानों को बोआई कर देनी चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक डा. आरपी चौधरी ने बताया कि बोआई से लेकर उर्वरक प्रबंधन व देखभाल में सावधानी बरतकर किसान फसल को जहां सुरक्षित रख सकते हैं तो बेहतर उत्पादन भी हासिल कर सकते हैं।
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कैसे करें बोआई
- प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में दीर्घकालिक अरहर की बोआई के लिए 10 से 12 किलो बीज पर्याप्त होता है। किसानों को चाहिए कि उत्तम जल निवासी वाली मिट्टी का चयन कर उसमें बोआई करें। बलुई दोमट व दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। बोआई से पहले प्रति किलो बीज को तीन ग्राम कार्बेंडाजिम व थीरम दवा को 1:2 अनुपात में मिलाकर अथवा आठ ग्राम ट्राइकोडर्मा से शोधित करना लाभकारी होगा। इसस पौधे कीट-मकोड़ों व अन्य रोगों से सुरक्षित रहेगी। साथ ही उकठा रोग का खतरा भी कम हो जाएगा।
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कौन है दीर्घकालिक उन्नत प्रजाति
- अरहर की बोआई के लिए बीज की प्रजाति के चयन में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अल्पकालीन प्रजाति की बोआई का समय लगभग समाप्त हो गया है। ऐसे में दीर्घकालिक प्रजाति बीज की बोआई लाभकारी होगी। दीर्घकालिक में बहार नरेंद्र अरहर 1, नरेंद्र अरहर 2, टाइप 17, आजाद पूसा 9, विकास, मालवीय, आइपीए-203, चमत्कार आदि प्रजाति के बीज की बोआई लाभकारी होगी। इसकी बोआई पूरे जुलाई तक की जा सकती है।
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उर्वरक प्रबंधन व खर पतवार नियंत्रण
- बोआई के लिए खेत में पर्याप्त गोबर की सड़ी खाद डालकर अच्छी तरह से जोताई कराने के बाद बोआई करनी चाहिए। रसायनिक उर्वरक में प्रति हेक्टेयर 100 किलो डीएपी व 20 किलो सल्फर व 30 किलो यूरिया का प्रयोग बीज के नीचे कू़ड़ों में करना चाहिए। इसी तरह खर पतवार के नियंत्रण के लिए पेंडीमेथलीन (30ईसी) 3.3 लीटर दवा को 800 लीटर पानी में घोल तैयार कर बोआई के 24 घंटे के अंदर छिड़काव कर देना चाहिए।