बरती लापरवाही तो बर्बाद होगी आलू व सरसों की फसल
पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी के साथ मौसम में बदलाव आ चुका है। सर्द हवा के झोंके से तापमान गिरने के चलते ठंड व गलन में बेहिसाब इजाफा हो चुका है। ठंड व गलन के साथ बादलयुक्त मौसम विशेषकर आलू व सरसों के लिए बेहद घातक होगा।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी के साथ मौसम में बदलाव आ चुका है। सर्द हवा के झोंके से तापमान गिरने के चलते ठंड व गलन में बेहिसाब इजाफा हो चुका है। ठंड व गलन के साथ बादलयुक्त मौसम विशेषकर आलू व सरसों के लिए बेहद घातक होगा। आलू में पाला लगने तो फूल ले रही तिलहन फसल सरसों को माहों का खतरा खड़ा हो जाता है। ऐसे में दोनों फसल की देखभाल में किसानों को बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होगी। जरा भी लापरवाही की गई और फसल रोग की जद में आई तो उपज मारी जाएगी। इससे किसानों की सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है। आलू में पाला के लक्षण व बचाव
- जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार तिवारी ने बताया कि पाला से प्रभावित आलू व सब्जी फसल की पत्तियां गलने लगती हैं। पत्तियों में धब्बे दिखाई पड़ने लगते हैं। इसके साथ ही पौधे सूख जाते हैं। सुरक्षा के लिए किसानों को चाहिए कि नियमित तौर पर देखभाल करते रहें। जरा सा भी लक्षण दिखने पर कार्बेंडाजिम दवा, डाइथेनेम 45, कापर आक्सीक्लोराइड में से कोई एक दवा ढाई ग्राम तथा कीटनाशक से बचाव को मोनोक्रोटोफास या रोगार दवा ढाई मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। साथ ही सल्फर का छिड़काव भी लाभकारी होगा। इसी तरह सरसों को माहों से बचाव के लिए एजाडिरैक्टिन 0.15 प्रतिशत दवा या फिर डाईमेथोएट 30 प्रतिशत दवा को पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है। हालांकि अभी लगातार हो जा रही धूप से फसल को ज्यादा खतरा नहीं हैं।