हे साहब! बहुत दिन गुजरि गवा, कब तक मिलिहंइ हमार लाल
हे साहब बहुत दिन गुजरि गवा अब कितने दिन तक इहां रहइ के पड़े। हमार लाल कब मिलिहंइ। यह किसी फिल्म भोजपुरी फिल्म का स्क्रिप्ट नहीं बल्कि बिहार प्रदेश के अररिया जनपद के परिजन हैं
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : हे साहब, बहुत दिन गुजरि गवा, अब कितने दिन तक इहां रहइ के पड़े। हमार लाल कब मिलिहंइ। यह किसी फिल्म भोजपुरी फिल्म का स्क्रिप्ट नहीं बल्कि बिहार प्रदेश के अररिया जनपद के परिजन हैं, जो अपने बच्चों को घर ले जाने के लिए छह दिनों से यहां पर डेरा डाले हुए हैं। लापरवाह व्यवस्था और उसके लोग अपनी-अपनी राग अलाप रहे हैं। कालीन कारखाना से मुक्त कराने का तमगा ले रहे संस्था के लोग भी गायब हो गए। हकीकत यह है कि सात दिन बाद भी बाल श्रमिकों का आयु परीक्षण नहीं कराया गया।
कालीन नगरी भदोही में 30 दिसंबर को कथित संस्था की शिकायत पर एसडीएम जीपी यादव और पुलिस ने छापेमारी कर 15 बाल श्रमिकों को मुक्त कराए थे। डीएम ने सीडब्ल्यूसी और सीएमओ को बुलाकर मेडिकल कराने आदि की कार्रवाई पूरी करने को कहा था। धीरे-धीरे सात दिन गुजर गए लेकिन अभी तक बाल श्रमिकों का आयु परीक्षण नहीं कराया जा सका है। आयु परीक्षण न होने के कारण उन्हें परिवार के लोगों को सुपुर्द भी नहीं किया जा सका है। परिवार के लोग भी कई दिनों से रामनगर से लेकर सीडब्ल्यूसी तक चक्कर काटते फिर रहे हैं। बाल कल्याण समित के दफ्तर में पहुंचे एक परिवार के लोगों का कहना है सूचना मिलने के तत्काल बाद वह यहां पर आ गए। इतने दिन से स्टेशन के प्लेटफार्म पर गुजार रहे हैं। उनके बच्चों को सुपुर्द नहीं किया जा रहा है।
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सीडब्ल्यूसी और डीएम को भेजा जवाब
श्रम प्रवर्तन अधिकारी प्रतिमा मौर्य ने बाल कल्याण समिति और जिलाधिकारी को जवाब भेजा है। उनका कहना है कि जब वह टीम में शामिल नहीं थीं तो मेडिकल कैसे कराएंगी। शासनादेश के स्पष्ट रूप से कहा गया है कि निरीक्षण करने वाले ही मेडिकल कराने के साथ ही साथ सीडब्ल्यूसी के कोर्ट में पेश करेंगे। कार्रवाई के लिए वह श्रम विभाग को निर्देशित करेंगे। बच्चे तो मुक्त कराए गए लेकिन नियोक्ता का नाम अभी तक नहीं बताया गया। श्रम विभाग किस नियोक्ता के खिलाफ कार्रवाई करे।
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डीएम का फरमान हवा-हवाई
जिलाधिकारी का निर्देश भी हवा-हवाई साबित हुआ। जिलाधिकारी ने सीएमओ और बाल कल्याण समिति से मेडिकल कराने को कहा था। सीएमओ ने महज सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण कर छोड़ दिया। बाल श्रमिकों का आयु परीक्षण कराना है। आयु परीक्षण के पश्चात ही बच्चों को उनके परिवार को सौंपा जाएगा। साथ ही नियोक्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।