हस्तनिर्मित के नाम पर बिक रहा मशीन से बना कार्पेट,
जागरण संवाददाता भदोही विश्व बाजार में अधिकांश लोग मशीन से बनी कालीनों को हस्तनिर्मित बताक
जागरण संवाददाता, भदोही : विश्व बाजार में अधिकांश लोग मशीन से बनी कालीनों को हस्तनिर्मित बताकर बेच रहे हैं। ऐसे में जहां उपभोक्ता को सही माल नहीं मिल रहा है तो वहीं, निर्यातक भी नुकसान उठा रहे हैं जो वास्तव में हस्तनिर्मित कालीन का उत्पाद कर रहे हैं। इसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में आयातक व निर्यातकों को सावधान रहने की जरूरत है। इसके लिए कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) जागरूकता अभियान चला रही है। उम्मीद है कि इस कड़ी में जीआई एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। सीईपीसी के सदस्य निर्यातकों को जागरूक व अधिकृत जीआई उपयोगकर्ता बनने के बाद मिलने वाले लाभ आदि को लेकर भौगोलिक संकेतक (जीआई) पर आयोजित वेबिनार में परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने यह बातें कहीं।
उन्होंने जीआई उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष वर्चुअल प्रदर्शनी आयोजित करने पर बल दिया। आश्वस्त किया कि परिषद जीआई अधिकृत निर्यातकों का हरसंभव सहयोग करने के लिए तैयार है। हालात सामान्य होने पर भदोही, मीरजापुर, श्रीनगर, आगरा सहित अन्य कालीन उत्पादन क्षेत्रों में जागरूकता शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा वर्चुअल प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की भी योजना है। तिथि की घोषणा बाद में की जाएगी।
परिषद के अधिशासी निदेशक संजय कुमार ने जीआई के तहत पंजीकृत सात उत्पादों के बारे में जानकारी दी। बताया कि परिषद 10 अन्य उत्पादों के पंजीकरण की प्रक्रिया में है। भारत सरकार जीआई उपयोगकर्ता निर्यातकों के लिए विशेष लाभ की घोषणा निकट भविष्य करने जा रही है। वेबिनार में जुड़े जीआई रजिस्ट्री चेन्नई के वरिष्ठ परीक्षक प्रशांत कुमार भैरप्पनवर ने बताया कि जीआई रजिस्ट्री एक अर्धन्यायिक प्राधिकरण है। जीआई की संकल्पना, उत्पाद के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम के बारे में जानकारी प्रदान की। अधिनियम के अनुसार, भौगोलिक संकेत किसी विशेष स्थान से उत्पन्न होने वाले उत्पाद की पहचान, उत्पाद की गुणवत्ता, प्रतिष्ठा एवं अन्य विशेषताओं को संकेत करता हैं। जीआई के तहत पंजीकरण के लिए कौन आवेदन कर सकता है, पंजीकरण प्रक्रिया, जीआई के लाभ आदि से अवगत कराया गया। जीआई के उप निबंधक चिनाराजा जी नायडू ने भी लोगों के सवालों का जवाब दिया। वेबिनार में प्रशासनिक समिति के वरिष्ठ सदस्य उमेश गुप्ता मुन्ना, हुसैन जाफर हुसैनी, श्रीराम मौर्य, संजय कुमार आदि भी जुड़कर अपने विचार साझा किए।