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गरीब रोगियों के लिए रामबाण हैं जेनरिक दवाएं

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध जेनरिक दवाएं गरीब व आर्थिक रूप से विपन्न रोगियों के लिए रामबाण की तरह हैं

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 07:48 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2022 07:48 PM (IST)
गरीब रोगियों के लिए रामबाण हैं जेनरिक दवाएं
गरीब रोगियों के लिए रामबाण हैं जेनरिक दवाएं

गरीब रोगियों के लिए रामबाण हैं जेनरिक दवाएं

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जागरण संवाददाता, भदोही : प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में उपलब्ध जेनरिक दवाएं गरीब व आर्थिक रूप से विपन्न रोगियों के लिए रामबाण की तरह हैं लेकिन विभागीय उपेक्षा व जागरूकता के अभाव में लोग इसके लाभ से वंचित हो रहे हैं। कमाई का स्रोत न होने के कारण चिकित्सक जहां जेनरिक दवाओं का फार्मूला लिखने में आनाकानी करते हैं तो वहीं दवा माफियाओं के वर्चस्व के आगे जन औषधि केंद्रों की उपयोगिता सिद्ध नहीं हो रही है।

हृदय, लीवर जैसे गंभीर रोग में काम आने वाली जेनरिक दवाएं बेहद कम कीमत में मिल रही है जबकि इसी फार्मूले की ब्रांडेड दवाओं की भारी कीमत वसूली जा रही है। मिसाल के तौर पर हृदय रोग में उपयोगी नाइट्रोग्लिसिरीन-2.6 एमजी जन औषधि केंद्र पर 68 रुपये में उपलब्ध है जबकि इसी फार्मूले की ब्रांडेड दवा के लिए बाजार में 120 रुपये खर्च करना पड़ता है। इसी तरह ब्लड प्रेशर में काम आने वाली टेल्मीसार्टन 20 एमजी जन औषधि केंद्र पर 10 रुपये में मिल जाती है जबकि बाजार में इसकी कीमत 67 रुपये है।

इसी तरह मेंटल प्राब्लम में दी जाने वाली सीटिकोलिन पिरासिटाम जन औषधि केंद्र पर 222 रुपये में जबकि इसी फार्मूले की ब्रांडेड दवा बाजार में 580 रुपये में मिल रही है। इसी तरह अन्य दवाओं की कीमत में जमीन आसमान का फर्क है। हालांकि न तो चिकित्सक इस संबंध में रोगियों को बताते हैं न ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके कारण गरीब रोगी महंगी दवाएं खरीदने के लिए विवश हो रहे हैं।

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भदोही केंद्र पर उपलब्ध हैं 230 दवाएं

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के जोनल मैनेजर नवीन सिंह का कहना है कि चिकित्सकों ने जेनरिक दवाएं लिखना शुरू कर दिया है। जेनरिक में 600 से 700 दवाओं की रेंज होती है लेकिन जो चिकित्सक लिखते हैं उसी के अनुसार दवाओं का स्टोर किया जाता है। इस समय भदोही केंद्र में 230 दवाएं उपलब्ध हैं। पूर्व में रोगियों द्वारा जन औषधि केंद्र की दवाएं खरीदने पर चिकित्सक वापस करा देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता। दवाओं की बिक्री भी संतोषजनक है।

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जेनरिक दवा 24 रुपये में ब्रांडेड 125 में

ब्रांडेड व जेनरिक दवाओं की कीमत में भारी अंतर है। उदाहरण के तौर पर शुगर में काम आने वाली दवा मेटफोरमिन जन औषधि केंद्र पर 24 रुपये पत्ता (दस टेबलेट) मिलती है जबकि ब्रांडेड कंपनी की यही दवा मेडिकल स्टोर पर 125 से 130 रुपये मिलती है। इसी तरह आई ड्राप कारबोक्सी औषधि केंद्र पर 24 रुपये में जबकि मेडिकल स्टोर पर 108 रुपये में मिल रही है। जेनरिक दवा कारबोक्सी खरीदने पहुंचे स्टेशन रोड निवासी पप्पू चौरसिया ने बताया कि इसी तरह दो चार और औषधि केंद्र खुल जाए तो गरीबों को भारी राहत मिल सकती है।

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क्या है सरकार की मंशा, क्या है नियम

सरकार ने जनहित में जन औषधि केंद्र के माध्यम से गरीब रोगियों को सस्ते दाम में दवा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है ताकि किसी गरीब का उपचार पैसे के अभाव में प्रभावित न हो। लोगों को बाहर से महंगी दवा खरीदने के लिए विवश न होना पडे। सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार चिकित्सक किसी कंपनी व ब्रांड का नाम पर्ची पर नहीं लिख सकते। उसे सिर्फ दवा में मिलने वाले अवयवों का उल्लेख करना है। ताकि रोगी प्रधानमंत्री औषधि केंद्र पर जाकर उससे मिलती जुलती जेनरिक दवा खरीद सके। जेनरिक दवाएं ब्रांडेड की अपेक्षा 70 से 80 फीसद कम दाम में मिल जाती हैं।


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