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तटवर्ती 20 गांवों के किसानों ने नहीं की गेहूं की बोआई

शेरपुर गांव के त्रिभुवन शुक्ल चार वर्ष से अपने पांच बीघा खेत में बोआई नहीं कर रहे हैं। कर्ज लेकर जब भी रबी और अरहर आदि की बोआई करते कि बेसहारा मवेशी चट कर जा रहे थे। वह साहुकार से लिए गए कर्ज की अदायगी भी नहीं कर पा रहे थे। चौपट फसल देख खून के आंसू रो रहे थे। अब वह खेत को खाली छोड़ दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 08:20 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 11:23 PM (IST)
तटवर्ती 20 गांवों के किसानों ने नहीं की गेहूं की बोआई
तटवर्ती 20 गांवों के किसानों ने नहीं की गेहूं की बोआई

जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही) : शेरपुर गांव के त्रिभुवन शुक्ल चार वर्ष से अपने पांच बीघा खेत में बोआई नहीं कर रहे हैं। कर्ज लेकर जब भी रबी और अरहर आदि की बोआई करते कि बेसहारा मवेशी चट कर जा रहे थे। वह साहुकार से लिए गए कर्ज की अदायगी भी नहीं कर पा रहे थे। चौपट फसल देख खून के आंसू रो रहे थे। अब वह खेत को खाली छोड़ दिए हैं। यह एक किसान की दर्द नहीं बल्कि तटवर्ती क्षेत्र के 20 गांवों के किसान खेती करना ही बंद कर दिए हैं। वह न तो रबी की बोआई कर रहे हैं और न खरीफ की। उनके सामने परिवार का पेट भरना चुनौती हो गई है।

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इन गांवों में किसानों ने खेती करना किया बंद

बेसहारा मवेशियों से आजिज आकर कूड़ी कला खुर्द, बहपुरा, मवैयाथान, इटहरा, भभौरातरी, धनतुलसी, तुलसीदास गजधरा, छेछुआ, डेरवां, भवानीपुर सहित 20 गांवों में किसान खेती करना बंद कर दिए हैं। चार वर्षों से करीब एक हजार बीघा भूमि खाली पड़ी है। कारण यह है कि मवेशियों का झुंड पलक झपकते ही लहलहा रही फसलों को चट जाते थे।

करोड़ों खर्च फिर बर्बाद हो रहे किसान

शासन की ओर से अब तक बेसहारा मवेशियों के नाम पर करोड़ों खर्च किया जा चुका है। स्थायी और अस्थायी आश्रय स्थल खोले गए हैं। मवेशियों को पकड़ने के लिए नगर पालिका भदोही और गोपीगंज में 80 लाख खर्च कर काउ कैचर भी खरीदे गए लेकिन वह अब कबाड़ बन चुके हैं। शासन से मिले बजट को लेकर अधिकारी लाल हो जा रहे हैं लेकिन किसान पूरी तरह बर्बाद हो जा रहे हैं। उनकी समस्या को कभी भी मुद्दा नहीं बनाया गया। जन प्रतिनिधी भी केवल अपनी झोली भरने में लगे हैं।

किसानों का छलका दर्द

कर्जा लेकर किसी तरह से अरहर की बोआई किया था। बेसहारा मवेशियों ने अरहर की खेती पूरी तरह बर्बाद कर दिए। अब गेहूं की बोआई कराया तो उसे भी पूरी तरह रौंद दे रहे हैं। दिन में तो रखवाली कर लिया जाता है लेकिन रात में यह मुश्किल हो जाता है।

त्रिभुवन शुक्ल।

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किसी तरह इस महंगाई में खेती की जाती है। अरहर, सब्जी आदि की खेती करना मुश्किल हो गया है। गेहूं की बोआई तो करा दिया लेकिन उसे भी बेसहारा मवेशी बचने नहीं दे रहे हैं। इसी तरह रहा तो परिवार भुखमरी का शिकार हो जाएगा। इससे अच्छा है कि खेती करना ही बंद कर दिया जाए।

बंशी मोहन।

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बेसहारा मवेशी गाढ़ी कमाई को बर्बाद कर रहे हैं। पूरे दिन खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है। आलू, गेहूं, सरसों आदि फसलों में एक भी नहीं छोड़ रहे हैं। कड़ाके के ठंड में किए गए मेहनत को मिट्टी में मिला दे रहे हैं। इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो किसान सड़क पर आ जाएंगे।

सुनील दुबे।

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लोग बताते हैं कि बेसहारा मवेशियों के लिए आश्रय स्थल खोले गए हैं। इसके बाद भी वह किसानों के फसल को चौपट कर दे रहे हैं। सरकार की ओर से भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। किसानों पूरी तरह बर्बाद हो जा रहे हैं।

राम श्रृंगार विश्वकर्मा।


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