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लाल की चिता सजते देख फफक पड़े पिता, अपराधियों को मिले सजा

सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी गंगा घाट पर अपने लाल का चिता सजते देख पिता कालिका प्रसाद बिद फफक पड़े। उनके जेहन में पुत्र को शहीद होने का गम था तो अपराधियों को लेकर आक्रोश। उन्होंने बताया कि अभी कुछ दिन पहले सबसे छोटी बिटिया की शादी के लिए बात बेटे नेबूलाल से बात हुई थी। वह घर आने की बात कर रहे थे। शुक्रवार को सुबह आठ बजे जैसे ही शहीद होने की जानकारी मिली की परिवार पर बज्रपात हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 04:59 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 04:59 PM (IST)
लाल की चिता सजते देख फफक पड़े पिता, अपराधियों को मिले सजा
लाल की चिता सजते देख फफक पड़े पिता, अपराधियों को मिले सजा

जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही): सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी गंगा घाट पर अपने लाल का चिता सजते देख पिता कालिका प्रसाद बिद फफक पड़े। उनके जेहन में पुत्र के शहीद होने का गम था तो अपराधियों को लेकर आक्रोश। उन्होंने बताया कि अभी कुछ दिन पहले सबसे छोटी बिटिया की शादी के लिए बात बेटे नेबूलाल से बात हुई थी। वह घर आने की बात कर रहे थे। शुक्रवार को सुबह आठ बजे जैसे ही शहीद होने की जानकारी मिली की परिवार पर वज्रपात हो गया।

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बोले, अब हमरे अगले-बगले केहू नाहीं बा, अब हम बेसहारा होइ गए, जैसे हमार लाल चला गएनि वइसइ वोनकर लाल भी चला जांइ। कुछ इसी तरह कहते-कहते शहीद के पिता कालिका प्रसाद फफक पड़े। वे बिलख रहे थे लेकिन चौबीस घंटे से निकल रहे आंसू सूख चुके थे। उन्होंने बताया कि घर पर वह अंतिम बार 14 मई को आए थे। इसके बाद प्रतिदिन सुबह- शाम परिवार से बात होती रहती थी। उनके चार बच्चे हैं, जिसमें दूसरे नंबर का बेटा कानपुर में रहकर सीपीएमटी की तैयारी कर रहा था। पत्नी श्यामा घर पर ही रहती हैं। सबसे छोटी बेटी की शादी करने की तैयारी चल रही थी। इसको लेकर नेबूलाल अपने पिता से लगातार बात करते रहते थे। पिता ने बताया कि वह मुख्यमंत्री से कानपुर में मिले थे। अपराधियों को कठोर से कठोर सजा देने की मांग की है। जब तक उसे सजा नहीं दी जाती है तब तक उन्हें शांति नहीं मिलेगी।

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अपनी काबिलियत पर नेबूलाल बने थे सब इंस्पेक्टर

कानपुर में शहीद सब इंस्पेक्टर नेबूलाल बिद अपनी काबिलियत से इस पद पर पहुंचे थे। नेबूलाल 1990 में पुलिस महकमे में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। 2009 में रैंकर्स परीक्षा पास की थी। नेबूलाल को दो साल की ट्रेनिग पूरी करने के बाद 2013 में कानपुर में तैनाती मिली थी। विभाग में तेज तर्रार दारोगा में उनका नाम लिया जाता था। बदमाश विकास दुबे के घर पर रात दबिश देने के लिए चुनिदा पुलिस कर्मियों को टीम में शामिल किया गया था।


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