Move to Jagran APP

दलहनी फसल से किसानों को मिलेगा बेहतर पैदावार

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : खरीफ अभियान की दलहनी फसल की बोआई का समय चल रहा है। पिछले दिनों ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 06:58 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 06:58 PM (IST)
दलहनी फसल से किसानों को मिलेगा बेहतर पैदावार
दलहनी फसल से किसानों को मिलेगा बेहतर पैदावार

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : खरीफ अभियान की दलहनी फसल की बोआई का समय चल रहा है। पिछले दिनों हुई बारिश से खेतों में आ चुकी नमी से बोआई की जा सकती है। बोआई का माकूल समय भी चल रहा है लेकिन बोआई करते समय बीजों के प्रजाति से लेकर उर्वरक प्रबंधन व बीज शोधन आदि को लेकर बरती गई कुछ सावधानी से फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है तो आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से उत्पादन भी बढ़ सकता है।

loksabha election banner

कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक (विषय वस्तु विशेषज्ञ) डा. आरपी चौधरी ने बताया कि अल्पकालिक प्रजाति के फसल की बोआई का समय लगभग समाप्त हो चुका है। जबकि दीर्घकालिक प्रजाति के बीजों की बोआई का समय चल रहा है। बताया कि दीर्घकालिक प्रजाति के बीजों की बोआई पूरे जुलाई माह तक की जा सकती है। इसके लिए बहार, नरेंद्र अरहर-2, टाईप-17, आजाद, पूसा-9, मालवीय विकास, मालवीय चमत्कार प्रजाति के बीज उपयुक्त होंगे। यह फसल 230 से 270 दिन में तैयार हो जाती है।

----------

कैसे करें उर्वरक प्रबंधन व बीज शोधन

- अरहर की बोआई के लिए दीर्घकालिक प्रजाति के फसल की बोआई के लिए 10 से 12 किलो बीज पर्याप्त होता है। उर्वरक प्रबंधन में प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद दस टन के साथ तीस किलो यूरिया व 250 किलो ¨सगल सुपर फास्फेट का प्रयोग किया जा सकता है। अथवा सौ किलो डीएपी का प्रयोग करना चाहिए। डीएपी डालने के बाद यूरिया डालने की जरूरत नहीं है। इसके अलावां 20 किलो सल्फर का प्रयोग पर्याप्त होगा। बीज शोधन के लिए एक किलो बीज को दो ग्राम कार्बेंडाजिम अथवा आठ ग्राम ट्राइकोडर्मा से उपचारित किया जा सकता है। दवा व बीज को आपस में अच्छी तरह मिलाकर रख दिया जाता है। बस बीजोपचार हो जाता है। इसके अलावां बोने से पहले बीज को राइजोबियम कल्चर से भी उपचारित किया जा सकता है। एक पैकेट (200ग्राम) राइजोबियम कल्चर दस किलो बीज के लिए पर्याप्त होता है।

--------

कैसे करें खर पतवार नियंत्रण

- खर पतवार पैदावार को प्रभावित करने में अहम भूमिका अदा करता है। खर पतवार ¨नयत्रण के लिए पेंडीमेथलीन (30ईसी) 3.3 लीटर दवा को सात से आठ सौ लीटर पानी के साथ घोल तैयार कर बोआई के 24 घंटे के अंदर छिड़काव किया जा सकता है। इससे खर पतवार नहीं उगेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.