दूर करें सामाजिक कुप्रथा, तब होगा देश के विकास
सामाजिक कुप्रथा को दूर करके ही देश का विकास किया जा सकता है। संविधान निर्माता डा. भीमराव आंबेडकर की 12
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सामाजिक कुप्रथा को दूर करके ही देश का विकास किया जा सकता है। संविधान निर्माता डा. भीमराव आंबेडकर की 128वीं जयंती पर रविवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में डीएम राजेंद्र प्रसाद ने यह बातें कहीं। उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। उन्होंने कहा कि डा. आंबेडकर अकेले आर्थिक क्रान्ति लाने, वर्ण व्यवस्था, जाति-पात, भेद-भाव को समाप्त करने तथा एक वर्णहीन समाज का निर्माण करने में लगे रहे।
डा. भीमराव आंबेडकर राजकीय अनुसूचित जाति बालिका छात्रावास ज्ञानपुर की छात्राओं ने बाबा साहब के जीवन एवं उनके द्वारा दलितों के उत्थान के लिए किए कार्यों के विषय पर परिचर्चा में प्रतिभाग किया गया। जबकि भाषण प्रतियोगिता में प्रतिभाग किए जवाहर नवोदय विद्यालय के सिद्धार्थ उपाध्याय, स्वाती श्रीवास्तव जिलाधिकारी ने प्रोत्साहित किया।
लालानगर प्रतिनिधि के अनुसार प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में रविवार को अवकाश के बाद भी बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई गई। कार्यक्रमों में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा के साथ सिद्धांतों को आत्मसात करने का संकल्प दोहराया गया। पूर्व माध्यमिक विद्यालय ककराही, प्राथमिक विद्यालय कठौता, पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोइलरा, जगन्नाथ पुर में आयोजित कार्यक्रम में बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। कोइलरा में ग्राम प्रधान मुकेश कुमार व प्रधानाध्यापिका ज्योति कुमारी ने कहा कि बाबा साहब समाज को जोड़ने का प्रयास आजीवन करते रहें।
सर्रोई प्रतिनिधि के अनुसार बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की जयंती प्रजापतिपुर, सर्रोई, कैथीपुर, बढ़ौना व उचेठा में कार्यक्रम आयोजित कर मनाई गई। इस दौरान बाबा साहब के सिद्धांतों पर चर्चा की गई। डॉ. ज्ञानशंकर मिश्र, मुन्ना दुबे, पप्पू तिवारी, महेद्र यादव, गुलाम पाल व अन्य ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया।
औराई प्रतिनिधि के अनुसार स्थानीय तहसील सभागार में आयोजित गोष्ठी में उप जिलाधिकारी अभय कुमार पांडेय ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर संविधान के अनुरूप कार्य करने पर जोर दिया। क्षेत्र के हनुमान पुर गांव में कार्यक्रम कर बाबा साहब के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया गया। इसी तरह घोसिया, कुरौना, त्रिलोकपुर आदि स्थानों पर जयंती मनाई गई।