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686 विवेचनाओं का नहीं हो सका निस्तारण

जालसाजी के मामलों की विवेचना सालों से पुलिस की फाइलों में उलझी हुई है। गोपीगंज कोतवाली में वर्ष 2016 में एमबीबीएस की फर्जी डिग्री लगाकर बने चिकित्सक के खिलाफ दर्ज मुकदमें की विवेचना तीन साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jun 2019 09:03 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 06:21 AM (IST)
686 विवेचनाओं का नहीं हो सका निस्तारण
686 विवेचनाओं का नहीं हो सका निस्तारण

जागरण संवादाता, ज्ञानपुर(भदोही): जालसाजी के मामलों की विवेचना सालों से पुलिस की फाइलों में उलझी हुई है। गोपीगंज कोतवाली में वर्ष 2016 में एमबीबीएस की फर्जी डिग्री लगाकर बने चिकित्सक के खिलाफ दर्ज मुकदमें की विवेचना तीन साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। यह हाल तब है जब पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने लंबित विवेचनाओं को अभियान चलाकर निस्तारित करने को कहा है। आलम यह है कि जनपद के सभी नौ थानों में 686 विवेचना लंबित हैं।

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पुलिस थानों में दर्ज मुकदमों की विवेचना किसी भी दशा में 90 दिन के अंदर पूरी हो जानी चाहिए। विवेचना अधिकारियों की लापरवाही के चलते निर्धारित तिथि के अंदर विवेचना पूरी नहीं हो पा रही है। हत्या आदि की मुकदमों में तो पुलिस समय से विवेचना की कार्रवाई कर लेती है लेकिन जालसाजी आदि मुकदमों में दो-दो साल तक विवेचना पूरी नहीं हो पाती है। पुलिस महानिदेशक ने लंबित मुकदमों को लेकर पुलिस उप महानिरीक्षक की जिम्मेदारी तय कर दी है। कहा है कि किसी भी दशा में समय से विवेचना पूरी हो जानी चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। थानों में चलता है अर्दली रूम-

विवेचनाओं को निस्तारित करने के लिए थानों में अर्दली रूम चलाया जाता है। इसे विवेचना दिवस भी कह सकते हैं। इस दिन संबंधित क्षेत्र के पुलिस क्षेत्राधिकारी और अपर पुलिस अधीक्षक थानों में पहुंचकर विवेचनाओं की मॉनीटरिग करते हैं। अपर पुलिस अधीक्षक डा. संजय कुमार ने बताया कि विवेचनाओं को निस्तारित करने के लिए अर्दली रूम के अलावा अलग से विवेचनाधिकारियों को बुलाकर समीक्षा की जाती है। विवेचनाओं को निस्तारित करने के लिए चेतावनी भी दी जाती है।

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कहां आती है दिक्कत-

थानों में आपरेटरों की कमी है। प्रत्येक थानों में एक-एक आपरेटर ही तैनात किए हैं। आनलाइन व्यवस्था प्रभावी होने के कारण दिक्कत आती है। विवेचनाधिकारी अपनी बारी के इंतजार में रहते हैं। हालांकि डीजीपी ने सभी स्टेशन अफसरों के साथ ही सब इंस्पेक्टर की अलग-अलग जिम्मेदारी तय की है। साथ ही कंप्यूटर ट्रेनिग के लिए भी निर्देशित किया है। अहम सवाल यह है कि जिले में 80 फीसद सब इंस्पेक्टर एक या दो साल में रिटायर होने वाले हैं। उन्हें कंप्यूटर में दक्ष करना चुनौती भरा है।

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थानों में विवेचनाओं की स्थिति-

थाना लंबित निस्तारित

गोपीगंज 90 21

ज्ञानपुर 60 20

सुरियावां 80 31

ऊंज 45 30

भदोही 125 47

दुर्गागंज 07 02

कोइरौना 69 40

चौरी 125 40

औराई 85 20


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