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सच्चे मन से की गई भक्ति से दूर होते हैं कष्ट

जागरण संवाददाता सीतामढ़ी (भदोही) बड़े से बड़े पाप का प्रायश्चित एक मात्र भगवान की भक्ति है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 05:44 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 05:44 PM (IST)
सच्चे मन से की गई भक्ति से दूर होते हैं कष्ट
सच्चे मन से की गई भक्ति से दूर होते हैं कष्ट

जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही) : बड़े से बड़े पाप का प्रायश्चित एक मात्र भगवान की भक्ति है। सच्चे मन से की गई भक्ति से कभी कष्ट दूर हो जाते हैं। क्षेत्र के कलातुलसी गांव में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में बोलते हुए पं. हरेकृष्ण तिवारी ने ये बातें कही। भक्तों को भगवान की कथा सुनने के लिए प्रेरित किया।

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अजामिल की कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि कान्यकुब्ज नगर में अजामिल नाम का ब्राह्मण था। वह कर्म से भ्रष्ट, अखाद्य वस्तुओं का सेवन करने वाला, पराए धन को छल से लूटने वाला बड़ा अधर्मी था। एक बार कुछ महात्मा उस पर कृपा करने आए। उसकी गर्भवती पत्नी से कहा अब जो पुत्र हो उसका नाम नारायण रख देना। पत्नी के कहने पर अजामिल ने अपने छोटे पुत्र का नाम नारायण रख दिया। जिसे वह बहुत प्यार करता था। उसे बार-बार नारायण नाम लेकर बुलाता था। एक दिन उसे लेने यमदूत आ गए। उन्हें देख घबराकर अजामिल ने नारायण को पुकारा। भगवान के पार्षदों ने देखा यह अंत समय में हमारे स्वामी भगवान का नाम ले रहा है। उधर उसकी पुकार सुनकर नारायण यानी भगवान भी वहां पहुंचे और यमदूतों को हटा दिया। यानी भगवान के भक्ति की शक्ति ने यमदूतों को भी वापस करा दिया। अंत समय में जो भगवान नारायण का नाम ले लेता है उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है। इस मौके पर राम उजागिर तिवारी, राजू शुक्ल, रामसंजीवन तिवारी व अन्य थे।


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