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किसानों की फसल के दुश्मन बने बेसहारा मवेशी, जिम्मेदार मौन

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) डीघ ब्लाक क्षेत्र का बेरवां पहाड़पुर हो या जगापुर और

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 07:59 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 07:59 PM (IST)
किसानों की फसल के दुश्मन बने बेसहारा मवेशी, जिम्मेदार मौन
किसानों की फसल के दुश्मन बने बेसहारा मवेशी, जिम्मेदार मौन

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : डीघ ब्लाक क्षेत्र का बेरवां पहाड़पुर हो या जगापुर और सोनैचा व अन्य गांव। गेहूं व अन्य दलहन-तिलहन फसल के अच्छे उत्पादन को आशान्वित किसान ठंड व गलन की परवाह किए सिचाई, उर्वरक का छिड़काव कर रहे लेकिन झुंड के झुंड टहल रहे बेसहारा मवेशी उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दे रहे हैं। खेतों में टहलते बेसहारा मवेशी किसानों की फसल के दुश्मन बने हैं तो नगर व बाजारों में सड़कों पर आमजन की सुरक्षा को लेकर भी खतरा पैदा कर रहे हैं। शिकायतों के बाद भी विभाग इसके लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है।

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बेसहारा मवेशियों को सुरक्षित ठिकाना देना शासन की प्राथमिकता में है। इसके लिए जिले में स्थाई व अस्थाई 20 अश्रय स्थलों का निर्माण कराया गया। इसके बाद भी स्थिति यह कि जिले में कहीं भी बेसहारा मवेशियों को आश्रय स्थल पहुंचाने का कोई अभियान नहीं चल रहा है। हालांकि शासन के मुख्य सचिव की ओर से बेसहारा निराश्रित मवेशियों को आश्रय स्थल पहुंचाने में लापरवाही पर मुख्य विकास अधिकारी व मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) को जिम्मेदार बनाते हुए कार्रवाई तय करने का फरमान जारी किया गया है। इसके बाद किसानों में राहत मिलने की उम्मीद जगी है।

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35 लाख रुपये खर्च कर खरीदे गए थे काऊ कैचर

बेसहारा मवेशियों को पकड़कर गोशाला में भेजने की योजना पर नगर निकाय पानी फेर रहा है। शासन ने भदोही और गोपीगंज नगर पालिका को काऊ कैचर खरीदने के लिए 35 लाख रुपये आवंटित किए थे। निकायों में इसे क्रय भी किया गया लेकिन वह केवल नगर पालिका परिसर की शोभा मात्र बनकर रह गए। शुरुआती दौर में दो चार दिन अभियान चलाकर फिर उसे खड़ा कर दिया गया। इसका कोई उपयोग होता नहीं दिख रहा है।

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क्या थी योजना

काऊ कैचर क्रय करने का उद्देश्य था कि इससे मवेशियों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। अगर माह के 25 दिन कैटल कैचर वाहन प्रयोग करेंगे तो औसतन एक वाहन के आठ घंटे प्रतिदिन इसका इस्तेमाल होगा। 25 दिन में न्यूनतम 10 पशु प्रतिदिन या महीने में 250 पशु एक वाहन से पकड़े जा सकेंगे।

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बेसहारा पशुओं को पकडकर गोशाला पहुंचाने के लिए संबंधित ब्लाक के चिकित्साधिकारी, सेक्रेटरी, प्रधान काम कर रहे हैं। जहां से सूचना मिलती है वहां से पशुओं को गोशाला पहुंचाया जाता है।

डाक्टर जय सिंह, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी


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