डीपीआर भेजने में हुई देरी, लटक गया अत्याधुनिक इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट
जागरण संवाददाता भदोही विभागीय अधिकारियों व औद्योगिक संगठनों की उदासीनता के चलते कार्पेट
जागरण संवाददाता, भदोही : विभागीय अधिकारियों व औद्योगिक संगठनों की उदासीनता के चलते कार्पेट सिटी के लिए प्रस्तावित अत्याधुनिक ईटीपी (इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापना की फाइल विभागीय कार्यालयों में उलझ कर रह गई। 15 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के लिए शासन ने दिसंबर 2021 में मंजूरी देते हुए डीपीआर बनाकर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। पहले तो डीपीआर बनाने में काफी विलंब किया गया। जैसे तैसे डीपीआर बनाकर टेक्निकल सेंक्शन के लिए उ.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजा गया। चार माह से फाइल प्रदूषण विभाग के कार्यालय में फंसी रही। अब प्रदूषण विभाग ने यह कहकर फाइल को वापस कर दिया है कि डीपीआर में प्रस्तावित इकाइयों का पूरा विवरण दर्ज नहीं है। ऐसे में प्लांट की दक्षता का सही आंकलन करना संभव नहीं है। इसके लिए किसी मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से परीक्षण कराना जरूरी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दो टूक जवाब के बाद भदोही औद्योगिक विकास प्राधिकरण (बीडा) ने यह फाइल कालीन निर्यात सवंर्धन परिषद (सीईपीसी) को भेज दिया है। जबकि शासन ने परियोजना का फाइनल डीपीआर बनाकर बीडा को भेजने के लिए निर्देश दिया था।
सीईपीसी प्रशासनिक समिति के सदस्य असलम महबूब का कहना है कि बीडा ने ईटीपी प्लांट के डीपीआर की फाइल भेजी है। उसका आंकलन किया जा रहा है, जल्द ही बीडा अधिकारियों, डाइंग प्लांट संचालकों के साथ बैठक कर इस पर निर्णय लिया जाएगा। आठ डाइंग इकाइयां कर दी गई थीं सीज
पिछले साल गंगाजल स्वच्छता अभियान के मद्देनजर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों के पानी को दूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों पर शिकंजा कसा था। इस क्रम में कालीन नगरी की आठ डाइंग इकाइयों को सीज कर दिया गया था। डाइंग इकाइयों से निकलने वाले केमिकल युक्त प्रदूषित पानी मोरवा नदी में बहाने की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई थी। इससे कालीन नगरी में खलबली मच गई थी। बंद औद्योगिक इकाइयों के संचालन व समस्या के स्थाई समाधान के लिए सीईपीसी व एकमा ने पहल करते हुए लखनऊ जाकर सूक्ष्म लघु, उद्यम मध्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर प्रमुख सचिव डाक्टर नवनीत सहगल से मुलाकात की। निर्यातकों की मांग पर 15 करोड की लागत से अत्याधुनिक ईटीपी लगाने के लिए शासन ने मंजूरी दी थी। इसमें 75 फीसद धन प्रदेश सरकार ने देने का वायदा किया था जबकि शेष 25 फीसद धन कारपेट सिटी में स्थापित डाइंग प्लाटं संचालकों से लिया जाना था। सीईपीसी को फाइल भेजी गई है : एक्सईएन
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वाराणसी का कहना है कि ईटीपी का डीपीआर किसी मान्यता प्राप्त संस्थान जैसे आइआइटी बीएचयू, एमएलएनआरटी प्रयागराज, आइआइटी कानपुर के सिविल अथवा केमिकल इंजीनियरिग विभाग से संपर्क कर टेक्सटाइल्स उद्योगों से संबंधित सीपीसीबी द्वारा वर्तमान में जारी चार्टर के अनुसार डीपीआर बनाकर बनवाकर क्रियांवित किया जाना उचित होगा। ऐसे में प्लांट की फाइल सीईपीसी को भेजकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुझाव के अनुसार डीपीआर बनवा कर देने का निवेदन किया गया है।
-ओपी सिंह, एक्सइएन , भदोही औद्योगिक विकास प्राधिकरण भदोही,