पालीथिन में घुटा फरमान, मुसीबत में जान
------------------ जागरण संवाददाता भदोही सालों से चल रही कोशिश बेकार साबित हो रही ह
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जागरण संवाददाता, भदोही : सालों से चल रही कोशिश बेकार साबित हो रही है। कारण कि प्रतिबंधित पालीथिन पर कोई लगाम नहीं लगा है। इसके चलते कालीन नगरी प्रदूषण से हांफ रही है। नालियों में फंसने से निकासी बाधित हो गई है जबकि बेसहारा पशु खाकर मर रहे हैं। बता दें कि वर्ष 2018 में प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए पालीथिन प्रतिबंधित कर दिया था। जांच टीम गठित कर पालीथिन का उपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो रही थी। एसडीएम की कमेटी अब सुस्त पड़ चुकी है।
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कटी थी सिर्फ आठ हजार रुपये की रसीद
जांच टीम में नगर पालिका के कर्मचारी भी शामिल किए गए थे। एक साल पहले चलाए गए अभियान के दौरान 32 दुकानदारों से आठ हजार का जुर्माना वसूला गया था। इसके बाद न तो अभियान चला न ही कार्रवाई हुई।
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होता है टिपैनी रोग : उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पालीथिन पशुओं के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहा है। इसके खाने से पशु टिपैनी रोग से ग्रसित हो रहे हैं। उनकी भूख मर जाती है। पेट फूलने लगता है। कुछ दिनों के बाद पशु की मौत हो जाती है। ऐसे पशुओं का एकमात्र उपचार आपरेशन है। पेट से पालीथिन को निकालना पड़ता है।
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एडीएम ने भरा दम, उठाएंगे कड़े कदम
एसडीएम योगेंद्र कुमार ने बताया कि नगर पालिका के सहयोग से शहर में सघन अभियान चलाया जाएगा। इधर काफी दिनों से अभियान ठप होने के कारण बाजार में प्रतिबंधित पालीथिन का उपयोग होने लगा है।