वैश्विक महामारी में सेहत की चिता, बढ़ी साइकिल मांग
पेट्रो मूल्यों में वृद्धि के कारण साइकिल के प्रति लोगों की रूचि में वृद्धि हो गई है। इस बीच साइकिलों की खरीदारी में तेजी देखी जा रही है। दुकानदार प्रतिदिन 15 से 20 साइकिल बेच रहे हैं। पहले लोग बच्चों के लिए साइकिल खरीदते थे लेकिन अब स्वयं के लिए भी खरीदारी कर रहे हैं। उधर लाकडाउन के दौरान प्रोडक्शन ठप होने के कारण कंपनियां आपूर्ति देने में विलंब कर रही हैं जो दुकानदारों के लिए चिता का विषय बना है। विशेषकर एटलस की साइकिल लाकडाउन के बाद पूरी तरह आना बंद हो गई है।
जासं, भदोही: वैश्विक महामारी में सभी को अपने सेहत की चिता सताने लगी है। यही कारण है कि एक बार फिर साइकिल के प्रति लोगों की रूचि में वृद्धि हो गई है। इस बीच साइकिल की खरीदारी में तेजी देखी जा रही है। दुकानदार प्रतिदिन 15 से 20 साइकिल बेच रहे हैं। पहले लोग बच्चों के लिए साइकिल खरीदते थे लेकिन अब स्वयं के लिए भी खरीदारी कर रहे हैं। उधर लॉकडाउन के दौरान प्रोडक्शन ठप होने के कारण कंपनियां आपूर्ति देने में विलंब कर रही हैं जो दुकानदारों के लिए चिता का विषय बना है। विशेषकर एटलस की साइकिल लॉकडाउन के बाद पूरी तरह आना बंद हो गई है। जबकि इस कंपनी की साइकिल के खरीदारों की अधिक संख्या है। इसके कारण दुकानदारों को घाटा हो रहा है। उनका कहना है कि एटलस की साइकिल की अधिक मांग है लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही इसकी आवक ठप हो गई। दो दशक पहले तक साइकिलों का जबरदस्त क्रेज था। लगभग हर घर में साइकिल होती थी लेकिन समय बदलने के साथ-साथ साइकिल से लोगों को मोह भंग हो गया।
लॉकडाउन के दौरान अच्छी बिक्री हुई थी। संसाधनों न होने के कारण बिहार व अन्य प्रांतों के मजदूरों ने घर जाने के लिए साइकिल की जमकर खरीदारी की थी। हालांकि इसके बाद बिक्री प्रभावित हो गई। इन दिनों पुन: ग्राहक निकल रहे हैं लेकिन बहुत तेजी नहीं है। दिन भर में आठ दस साइकिल बिक जाती है।
चित्र.. 35-गौतम गुप्ता।
---------------------
लॉकडाउन के दौरान कंपनियों में प्रोडक्शन ठप होने के कारण माल की आवक में कमी आई है। एटलस ने प्रोडक्शन बंद कर दिया है जबकि हीरो की कई कंपनियों में अब भी माल तैयार नहीं हो रहा है। इस समय जो पहले भुगतान कर रहा है उसे माल मिल रहा है। हालांकि उनके पास साइकिलों का स्टाक है।
चित्र.. 36-भरत गुप्ता।