कोरोना संक्रमण से कालीन उद्योग को 200 करोड़ का झटका
जासं भदोही कोरोना संक्रमण के बढ़ते संक्रमितों की संख्या को देख कालीन उद्योग में हलचल बढ़
जासं, भदोही : कोरोना संक्रमण के बढ़ते संक्रमितों की संख्या को देख कालीन उद्योग में हलचल बढ़ गई है। कालीन के प्रमुख खरीदार देश अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन व यूके में नए वैरियंट के चलते हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सबसे बड़े आयातक देश जर्मनी में आंशिक लाकडाउन लगा है। आलम यह है कि अकेले भदोही के कालीन उद्यमियों को 200 करोड़ का झटका लगा है। कालीन निर्यातकों को नया आर्डर नहीं मिल रहा है तो पुराने आर्डर के माल गोदाम में डंप पड़े हैं। इसके साथ ही 12 जनवरी से प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला डोमोटेक्स भी रद हो गया।
कालीन मेलों के महाकुंभ डोमोटेक्स का अंतिम बार आयोजन जनवरी 2020 में हुआ था। इसके बाद राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के कालीन मेलों पर ब्रेक लग गया। ऐसी स्थित में निर्यातक ग्राहकों से आनलाइन संपर्क कर व्यवसाय को गतिमान रखने में जुटे थे लेकिन तीसरी लहर ने उसमें भी व्यवधान उत्पन्न कर दिया है। पिछले एक माह में नए आर्डर में 50 फीसद की कमी दर्ज की गई है। हाल यह है कि परंपरागत ग्राहकों व आर्डर के सहारे कंपनियों की ओर से काम कराए जा रहे हैं। जर्मनी, ब्रिटेन सहित कुछ देशों में ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम ठप होने के कारण पुराने आर्डर के माल डंप हो गए हैं। वरिष्ठ कालीन निर्यातक पीयूष बरनवाल का कहना है कि दूसरी लहर के बाद व्यवसाय पटरी पर आ गया था। आनलाइन विजिट कर लोग आर्डर निकाल रहे थे लेकिन फिर से संकट उत्पन्न हो गया है।
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कंटेनर का किराया पांच गुना अधिक : प्रमुख कालीन निर्यातक संजय गुप्ता का कहना है कि दो साल से उत्पन्न कंटेनर किल्लत अभी भी निर्यातकों के लिए सिरदर्द बना है। निर्यातकों की मांग पर सरकार के लाख कवायद के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो सका। दो साल पहले तक 800 रुपये डालर के किराए पर मिलने वाला कंटेनर इस समय 3000 से 3500 डालर में मिल रहा है। उसमें गारंटी नहीं है कि समय से माल गंतव्य तक पहुंच जाएगा। कंटेनर अभाव के चलते कई निर्यातकों के माल बंदरगाहों पर डंप हैं। इसके कारण छोटे व मझोले निर्यातक चाहकर भी माल नहीं भेज रहे हैं।
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नो वैक्सीनेशन नो इंट्री : संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कालीन कंपनियों ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। बिना वैक्सीनेशन के कंपनियों में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। इसके अलावा 50 कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है। उनसे भी गाइडलाइन का शत प्रतिशत पालन कराया जा रहा है। कालीन निर्यातक आलोक बरनवाल का कहना है कि बड़ी व प्रतिष्ठित कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 50 फीसद कर दी गई है जबकि छोटी-मोटी कंपनियों में एहतियात के साथ काम कराया जा रहा है।