कोरोना ने दिखाई डिजिटल पेमेंट की राह
गोपीगंज बाजार में सुरेंद्र कुमार गुप्ता की किराना की दुकान है। वह ग्राहकों से नोटों का लेन-देन करते थे लेकिन कोरोना संक्रमण के पहले से ही वह सतर्क हो गए थे। स्वाइप मशीन के साथ ही साथ गूगल पे सहित अन्य एप के माध्यम से भी भुगतान लेने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : गोपीगंज बाजार में सुरेंद्र कुमार गुप्ता की किराना की दुकान है। वह ग्राहकों से नोटों का लेन-देन करते थे लेकिन कोरोना संक्रमण के पहले से ही वह सतर्क हो गए थे। स्वाइप मशीन के साथ ही साथ गूगल पे सहित अन्य एप के माध्यम से भी भुगतान लेने लगे हैं। वह बताते हैं कि डिजिटल पेमेंट से ग्राहकों के साथ ही साथ हमें भी राहत है। यह तो बानगी भर है लेकिन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को लेकर जागरूकता बढ़ी है।
डिजिटल इंडिया के अंतर्गत जिले में करीब-करीब सभी छोटे-बड़े दुकानों पर स्वाइप मशीन उपलब्ध हैं। अधिसंख्य ग्राहकों के मोबाइल फोन में गूगल सहित अन्य एप अपलोड हैं। लॉकडाउन में जब सभी दुकानें बंद थी तो लोग अपने मोबाइल फोन से से ही रिचार्ज कर लेते थे। बैंक होने के कारण डिजिटल भुगतान करने वाले ग्राहकों का भी आंकड़ा बढ़ा है। अन्य प्रांतों में फंसे लोगों को डिजिटल भुगतान के माध्यम से ही परिवार के लोग पैसा भेज रहे थे। यही नहीं राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षा में तैयारी करने गए करीब 500 छात्र लॉकडाउन में फंसे थे। ऐसी स्थिति में परिवार के लोग भी चाहकर भी उनकी सहायता नहीं कर पा रहे थे। अधिसंख्य अभिभावक मोबाइल ऐप से उनके खाते में पैसा ट्रांसफर किए थे।
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डिजिटल भुगतान की स्थिति
120 : बैंकिग ब्रांच हैं जिले में
10,000 : बड़े कारोबारी करते हैं लेन-देन
4500 : ग्राहक प्रतिदिन करते हैं आरटीजीएस
6000 : लोग करते थे मार्च, अप्रैल व मई में आरटीजीएस
2500 : लोगों ने एनईएफटी से किया लेन-देन
3000 : लोगों ने लॉकडाउन में एनईएफटी से किया था भुगतान
10,000 : लोग करते थे पहले मोबाइल बैंकिग
12,000 : हुई मोबाइल बैंकिग की संख्या