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रोपाई संग करें खर पतवार का नियंत्रण, बढ़ेगा उत्पादन

खरीफ सीजन के प्रमुख धान फसल की रोपाई चल रही है। लगातार हो रही बारिश देख किसान आशान्वित भी हैं कि यदि इसी तरह मौसम बना रहा तो फसल अच्छी होगी लेकिन रोपाई संग किसानों के खर पतवार के नियंत्रण को लेकर भी विशेष ध्यान देना होगा। कारण है कि पैदावार प्रभावित करने में खर पतवार की भी अहम भूमिका होती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 08:59 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 06:04 AM (IST)
रोपाई संग करें खर पतवार का नियंत्रण, बढ़ेगा उत्पादन
रोपाई संग करें खर पतवार का नियंत्रण, बढ़ेगा उत्पादन

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : खरीफ सीजन के प्रमुख धान फसल की रोपाई चल रही है। लगातार हो रही बारिश देख किसान आशान्वित भी हैं कि यदि इसी तरह मौसम बना रहा तो फसल अच्छी होगी लेकिन रोपाई संग किसानों के खर पतवार के नियंत्रण को लेकर भी विशेष ध्यान देना होगा। कारण है कि पैदावार प्रभावित करने में खर पतवार की भी अहम भूमिका होती है।

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ऐसे में इसके सही समय पर निस्तारण से पैदावार में वृद्धि होगी। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि खर-पतवार रहने से रोपी गई नर्सरी का सही तरीके से विकास नहीं हो पाता। इसके साथ ही फसल में दिए जाने वाले उर्वरक का भी अधिकांश मात्रा यह ले लेते हैं इससे किसानों को आर्थिक रूप से भी नुकसान होता है।

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खर-पतवार नियत्रण के

क्या करें उपाय

- रोपाई के बाद खर पतवार के अंकुरण के पूर्व प्रयोग होने वाले खर पतवारनाशी का छिड़काव रोपाई के बाद तीन दिन यानी 72 घंटे के अंदर करना चाहिए। इसके लिए प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत ईसी दवा 500 मिली. प्रति एकड़ या प्रेटिलाक्लोर 37 प्रतिशत ई डब्ल्यू दवा 600 मिली प्रति एकड़ की दर से 120 ली पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है। इसी तरह पाइराजो सल्फुरान इथाइल 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी 60 ग्राम दवा प्रति एकड़ 120 ली पानी में घोलकर बनाकर या बालू में मिलाकर छिड़काव करना लाभकारी होगा।

- रोपाई के बाद खर पतवार अंकुरित होने के बाद प्रयोग होने वाले खर पतवारनाशी में फेनोक्साप्रोप-पी-इथाइल 9.3 प्रतिशत ईसी दवा 250 मिली प्रति एकड़ रोपाई के 10 से 15 दिन बाद एवं बी स्पाइरी बैक सोडियम 10 प्रतिशत एससी 80 मिली दवा प्रति एकड़ के दर से रोपाई के बाद खर पतवार की 2-5 पत्तियों के होने की अवस्था में 120 ली पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करना चाहिए।


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