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सीएम साहब! 26 बरस से उपेक्षित है कालीन नगरी

कड़ा सवाल करोड़ों की परियोजनाएं जहां दशकों बाद भी पूर्ण नहीं हो सकीं कालीन में रंग भ

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 08:33 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 08:33 PM (IST)
सीएम साहब! 26 बरस से उपेक्षित है कालीन नगरी
सीएम साहब! 26 बरस से उपेक्षित है कालीन नगरी

कड़ा सवाल

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करोड़ों की परियोजनाएं जहां दशकों बाद भी पूर्ण नहीं हो सकीं

कालीन में रंग भर देने वाले बुनकर घुट-घुट कर जी रहे

जासं, ज्ञानपुर (भदोही): कालीन नगरी भदोही आ रहे सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लोगों को काफी उम्मीदें हैं तो वहीं वे विकास को लेकर कई सवाल भी कर रहे हैं।

आलम यह है कि रोजगार की तलाश में जहां डेढ़ लाख बेरोजगार युवा इधर-उधर भटक रहे हैं तो कालीन में रंग भर देने वाले बुनकर घुट-घुट कर जी रहे हैं। करोड़ों की परियोजनाएं जहां दशकों बाद भी पूर्ण नहीं हो सकीं तो वहीं शिक्षा और चिकित्सा को लेकर जिले के लोगों को भटकना पड़ रहा है।

सबसे अहम सवाल तो यही कि कालीन उद्योग की जान के दुश्मन बने बिजली संकट को काबू कब किया जाएगा? कहां तो इस कालीन उद्योग प्रक्षेत्र को बाकायदा अबाध कमर्शियल बिजली मिलनी चाहिए लेकिन यहां तो इसके सामान्य दर्शन भी दुर्लभ हो चुके हैं।

गरीबी-रेखा के नीचे पहुंची कालीन बुनकरों की जिदगी समस्या-असुविधाओं की पर्याय बनी हुई है जिस कारण संबंधित परिवारों में नई पीढ़ी में से कोई इस पेशे में आने को तैयार नहीं। बेरोजगारी इस कदर है कि लोग रोजगार तलाशने के लिए महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। डेढ़ लाख बेरोजगार युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं। कालीन नगरी भदोही में दशकों बाद भी उद्योग स्थापित नहीं किए जा सके।

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सीतामढ़ी को नहीं मिला पर्यटन क्षेत्र का दर्जा

काशी- प्रयाग के मध्य स्थित लव कुमारों की जन्म स्थली सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी में दर्शन- पूजन करने के लिए प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में देशी-विदेशी मेहमान आते हैं लेकिन दशकों बाद भी पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका है। गंगा घाट को अत्याधुनिक बनाने का सपना भी चकनाचूर हो गया।

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भ्रष्टाचार का बोलबाला

मुख्यमंत्री भले ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात कर रहे हों लेकिन तहसील, थाना से लेकर ब्लाक मुख्यालयों तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सीएम को दिन-रात एक कर दे रहे हैं लेकिन उनके तंत्र बेकार पड़े हैं। आम जन को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रही। अपात्रों की चांदी कट रही है। तहसीलों में किसानों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। घोटालेबाजों को संरक्षण दिया जा रहा है तो अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। वह सीयूजी नंबर से भी बात करना उचित नहीं समझते हैं।


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