दावे हजार, रामलीला मैदान में गंदगी का अंबार
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती (दो अक्टूबर) को पूरे जिले में स्वच्छता दिवस के रूप में मनाई गई। स्वच्छता व साफ-सफाई को लेकर तमाम दावे हुए। लोग स्वच्छता को लेकर संकल्प लेते नजर आए तो लोगों को साफ- सफाई के महत्व से परिचित कराने में भी कोई पीछे नहीं रहा। यह सब दिखावा या फिर हकीकत काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर के परिसर में स्थित रामलीला मैदान में लगे गंदगी के अंबार ने सोचने को मजबूर कर दिया। रा
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती (दो अक्टूबर) को पूरे जिले में स्वच्छता दिवस के रूप में मनाई गई। स्वच्छता व साफ-सफाई को लेकर तमाम दावे हुए। लोग स्वच्छता को लेकर संकल्प लेते नजर आए तो लोगों को साफ-सफाई के महत्व से परिचित कराने में भी कोई पीछे नहीं रहा। यह सब दिखावा या फिर हकीकत काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर के परिसर में स्थित रामलीला मैदान में लगे गंदगी के अंबार ने सोचने को मजबूर कर दिया। रामलीला व अग्नि परीक्षा मेले के बाद चहुंओर बिखरे पालीथिन व दोने पत्तल न सिर्फ स्वच्छता अभियान बल्कि लोगों के दावे की पोल भी खोल रहे हैं।
दरअसल, महाविद्यालय परिसर में ही रामलीला मैदान है। नौ दिन तक चले रामलीला के पश्चात उसी मैदान पर विजय दशमी मेला तो केवल महिलाओं के लिए आयोजित होने वाले सीता अग्नि परीक्षा मेले का आयोजन संपन्न कराया गया। मेले के दौरान लगी दुकानों पर बिके खाद्य पदार्थों के चलते पूरा परिसर दोने-पत्तल आदि से पट गया। जिसे किसी ने साफ कराने की जमहत नहीं उठाई। खैर यह तो रही उन दुकानदारों व मेलार्थियों की बात, जो मेला पूरा होने के बाद अपने-अपने घरों को रवाना हो गए। अब देखा जाय तो स्वच्छता को लेकर तमाम दावे कर रहे समाज सेवियों से लेकर मेला आयोजन समिति तक ने इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई।
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पॉलीथिन पर प्रतिबंध की भी खुली पोल
- मैदान में बिखरे पॉलीथिन के चलते इसके उपयोग पर लगाए गए प्रतिबंध की भी पोल खुल चुकी है। भले ही जांच में निकलने वाले अधिकारियों को दुकानों से पॉलीथिन न बरामद हो रही हो लेकिन मेले में पॉलीथिन का जमकर उपयोग किया गया। जिसकी बानगी मेला समापन के बाद देखने को मिल रही है।