Move to Jagran APP

अभियान फेल, कुपोषित बच्चों की संख्या 10 हजार के पार

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग खुद कुपोषण का शिकार होता दिखाई दे रहा है। कोविड-19 को लेकर बंद पड़े आंगनबाड़ी केंद्र 31 जनवरी को खुलेंगे। आलम यह है कि जनपद में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों का आंकड़ा 10000 के पार पहुंच चुका है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 05:41 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 05:41 PM (IST)
अभियान फेल, कुपोषित बच्चों की संख्या 10 हजार के पार
अभियान फेल, कुपोषित बच्चों की संख्या 10 हजार के पार

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर(भदोही) : बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग खुद कुपोषण का शिकार होता दिखाई दे रहा है। कोविड-19 को लेकर बंद पड़े आंगनबाड़ी केंद्र 31 जनवरी को खुलेंगे। आलम यह है कि जनपद में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों का आंकड़ा 10,000 के पार पहुंच चुका है। जबकि उपचार की व्यवस्था देने को लेकर जिला अस्पताल में बना पुनर्वास केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहा है।

loksabha election banner

मातृ- शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के अंतर्गत कई वर्ष से आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से अति कुपोषित और कुपोषित बच्चों के अलावा गर्भवती-धात्री महिलाओं के देखभाल के लिए आंगनबाड़ी वर्करों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। नियमानुसार आंगनवाड़ी वर्कर गर्भवती-धात्री महिलाओं के साथ ही साथ शून्य से छह साल के बच्चों को चिन्हित करने के साथ ही साथ उनका वजन आदि करना होता है। महिलाओं और बच्चों को पौष्टिक आहार के लिए प्रेरित करना होता है। यह सब ढाक के तीन पात साबित हो रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्र कागजों में तो वेरी गुड संचालित किया जा रहा है लेकिन हकीकत में इसकी कहानी उल्टी है। किशोरियों के संचालित दूध और घी योजना भी कागजों पर ही सिमट कर रह गया है। परिणामस्वरूप अति कुपोषित और कुपोषित बच्चों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग सब कुछ चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है।

---------------

पुष्टाहार वितरण पर एक नजर:

आंगनबाड़ी केंद्रों पर तीन माह से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए मार्निंग स्नैक दिया जाता है। इसके साथ ही प्रत्येक माह के पांच, पंद्रह और 25 तारीख को गर्भवती-धात्री महिलाओं को रिच इमाबूलेन फूड और सात माह से तीन साल के बच्चों को विनिग फूड दिया जाता है। केंद्रों पर हाट कुक्ड में पिछले नवम्बर माह से बजट न मिलने पर केंद्रों पर गरमा-गरम भोजन बंद कर दिया गया है।

-----------------

परियोजनाओं में कुपोषित बच्चों की स्थिति-:

आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या: 1421

जिले में (0- 5) वर्ष के बच्चों की संख्या:- 2,20,962

कुपोषित बच्चों की संख्या- 7,615

अति कुपोषित बच्चों की संख्या- 3,367

---------------------

निदेशालय से उपलब्ध कराई जा रही हैं मशीनें

आंगनबाड़ी केंद्रों में वेइंग मशीन न होने के कारण आंगनबाड़ी वर्करों को उधार लेना पड़ता था। निदेशालय ने वेइंग मशीन खरीद कर जिले में भेजा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह ने बताया कि निदेशालय से इनफैंटोमीटर और स्टैडियो मीटर भी जिले को उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे बच्चों की लंबाई आदि की जांच की जा सकेगी। बताया कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा दाल आदि का वितरण किया जा रहा है। अब काला चना भी वितरित किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.