गुलजार हुए कालीन कारखाने, पटरी पर आया उत्पादन
------------------------- जासं भदोही लाकडाउन में ठप कालीन दरी उत्पादन कार्य पटरी पर अ
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जासं, भदोही : लाकडाउन में ठप कालीन, दरी उत्पादन कार्य पटरी पर आने लगा है। बुनकरों की वापसी होने से कारखाने गुलजार हो गए हैं। संचालकों के चेहरे पर छाए निराशा के बादल छंटने लगे हैं। बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा सहित अन्य प्रांतों के 80 फीसद बुनकरों व मजदूरों की वापसी हो गई है। उत्पादन में तेजी आने से कालीन निर्यातकों ने राहत की सांस ली है। वर्चुअल फेयर के समापन के बाद एक तरफ जहां निर्यातक आयातकों की मांग पर सैंपल तैयार कराने में जुटे हैं तो दूसरी ओर लंबे समय डंप पुराने आर्डर के कालीन तैयार कराने का दबाव बना हुआ है।
जनपद में पांच सौ से अधिक कालीन कारखाने हैं। जहां टफ्टेड, दरी, हस्तनिर्मित कालीनों के साथ हैंडलूम का उत्पादन होता है। लाकडाउन के दौरान शत प्रतिशत कारखानों में ताले लग गए थे। बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश सहित आसपास के जनपदों के बुनकर पलायन कर गए थे। अनलाक-1 के दौरान कुछ छूट मिलने व सड़क यातायात बहाल होने के बाद बिहार प्रांत के बुनकरों मजदूरों की वापसी होने लगी थी। इस बीच 12 सितंबर से धनबाद-फिरोजपुर स्पेशल किसान एक्सप्रेस का भदोही रेलखंड से परिचालन सोने पर सुहागा साबित हुआ है। इसी तरह पिछले दिनों नीलांचल एक्सप्रेस का परिचालन प्रारंभ होने के बाद पश्चिम बंगाल व उड़ीसा के बुनकरों की वापसी होने लगी है। कारखाना संचालकों का कहना है कि बिहार के 80 फीसद बुनकरों की वापसी हो चुकी है।