हटाए गए दोनों चर्चित लिपिक, काउंटर पर पसरा सन्नाटा
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर में आरटीओ
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर में आरटीओ मीरजापुर संजय तिवारी की गोपनीय छापेमारी के बाद हालात में बदलाव देखने को मिल रहा है। दोनों चर्चित लिपिकों को हटा दिया गया। कार्यालय परिसर के अंदर और बाहर तो भीड़ लगी रही लेकिन काउंटर पर सन्नाटा पसार हुआ है। दलालों पर शिकंजा कसते ही दो दिनों में स्लाट धड़ाम हो गया। 50 फीसद अभ्यर्थी लर्निंग ड्राइविग लाइसेंस में फेल हो जा रहे हैं। लाइसेंस की जिम्मेदारी अभी अस्थायी रूप से आरआई प्रमेंद्र कुमार को दी गई है। सीसीटीवी कैमरा सक्रिय हो गया तो लर्निंग लाइसेंस केबिन में टेस्ट भी शुरू हो गया।
संभागीय परिवहन अधिकारी वेष बदलकर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर में पहुंच गए थे। करीब 45 मिनट तक वह कार्यालय के सभी पटलों पर पहुंचकर हकीकत देखी। अभ्यर्थी बनकर लाइसेंस आदि की जानकारी भी ली। उनके पहुंचते ही दलालों ने लाइसेंस बनवाने के लिए घेर लिया था। लाइसेंस काउंटर पर परीक्षा दे रहे एक अभ्यर्थी ने उन्हें बताया था कि पास करने के लिए अलग से पैसा दिया गया था। लर्निंग, हैवी और स्थायी लाइसेंस में मनमानी वसूली की जा रही थी। आरटीओ के सख्त हिदायत के बाद विभाग के चर्चित लिपिक शहनवाज खां और रमेशदत्त शुक्ला को पटल से हटा दिया गया है तो इमरान की आइडी ब्लाक कर दी गई है। आरटीओ के छापेमारी का असर यह रहा कि शुक्रवार को मुख्य गेट के सामने बने सभी काउंटर पर सन्नाटा पसरा रहा। नया चेहरा देखकर दलाल सहम जा रहे थे। लाइसेंस के काउंटर पर भी एक-दो अभ्यर्थी आ रहे थे। दो दिनों में 22 अभ्यर्थी लर्निंग टेस्ट में फेल हो चुके हैं। कई कक्ष में तो ताला लटका रहा। सवाल करने पर एक कर्मचारी ने बताया कि नवरात्र होने के कारण भीड़ कम हो रही है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी अरुण कुमार का कहना है कि लिपिकों को हटा दिया गया है। कार्यालय में दलालों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दिया गया है।
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अपर आयुक्त की जांच में बच निकला था लिपिक
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर में तैनात लिपिक शहनवाज को अपर आयुक्त मुकेश चंद्रा ने ही रंगे हाथ पकड़ लिया था। चार माह से सीसीटीवी कैमरा खराब मिला था। उसी समय कार्रवाई के लिए कहा गया था लेकिन लिपिक की पकड़ इतना मजबूत रहा कि अभी तक उसे पटल से हटाया नहीं जा सका था। आरटीओ के सख्त हिदायत के बाद आखिरकार गाज गिर गई।