मोक्षदायिनी के तट पर बही आस्था की बयार
स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर मंगलवार को स्थानीय रामपुर सहित अन्य गंगा घाटों पर पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। इसके साथ ही दान-पुण्य किए।
जागरण संवाददाता गोपीगंज / लालानगर (भदोही) : स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर मंगलवार को स्थानीय रामपुर सहित अन्य गंगा घाटों पर पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। इसके साथ ही दान-पुण्य किए। रामपुर गंगा घाट पर सर्वाधिक भीड़ रही। सुरक्षा के मद्देनजर गंगा में बैरिकेडिग की गई थी तो पुलिस व प्रशासनिक अफसर भ्रमण करते रहे। भीड़ में किसी तरह की अव्यवस्था न उत्पन्न हो गोपीगंज नगर से गंगा तट की ओर बढ़ने वाले हर सड़क के चौराहे, तिराहे पर पुलिस के जवान तैनात रहें।
कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर रामपुर, चतुर्मुखी, डेरवां, बरजी, जहंगीराबाद, बेरासपुर, बिहरोजपुर, गुलौरी, सेमराध, सीतामढ़ी, भोगांव सहित अन्य गंगा घाटों पर करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया। पूर्णिमा पर स्नान के लिए मंगलवार को भोर से ही नजारा बदल गया। घाट की ओर जाने वाले हर सड़क, मार्ग व पगडंडियों पर ज्यों- ज्यों समय बढ़ता गया स्नानार्थियों की भीड़ भी बढ़ती गई। सभी घाटों पर उमड़े आस्थावानों में मानों गंगा में डुबकी लगाने की होड़ लग गई। स्नानार्थियों को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो इसलिए घाट पर व्यापक स्तर पर बंदोबस्त किए गए थे। नगर क्षेत्र के साथ ही घाट मार्ग पर दोनों ओर खान-पान के साथ ही घरेलू उपयोग की दुकानें भी लगाई गई थी। इसी तरह सीतामढ़ी, सेमराधनाथ धाम गंगा घाटों पर भी बड़ी संख्या में लोगों ने डुबकी लगाई।
महराजगंज प्रतिनिधि के अनुसार : कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा घाट भोगांव, नेवढि़या, इटवा, द्वारिकापुर, कोलाहलपुर, महानंद पुर आदि गंगा घाटों पर
पर स्नानार्थियों की कतार लगी रही। हजारों महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने पहुंचकर स्नान कर पूजन-अर्चन किया। इस दौरान लगे मेले में लोगों ने जमकर खरीदारी भी की।
ऊंज प्रतिनिधि के अनुसार : क्षेत्र के गंगा घाट सेमराधनाथ, कलिजरा अन्य घाटों पर मंगलवार भक्तों-श्रद्धालुओं ने स्नान कर दान किया। सेमराध घाट पर सुबह से ही महिला-पुरुष श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। सुबह से लेकर दोपहर बाद तक लोग पहुंचकर गंगा में आस्था की डुबकी लगाते रहे।