तीन साल बाद भी नहीं मिला जवाब
बेपटरी हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विभागीय अधिकारी गंभीर नहीं हैं। चिकित्सकों की मनमर्जी से लाचार मरीजों के उपचार के लिए अस्पताल के डाक्टर संजीदा नहीं हैं। जिससे मोटी रकम वेतन के रुप में मिलने के बाद भी सही उपचार नहीं हो पाता। तीन वर्ष पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी से आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी से जुड़ा आरटीआइ कार्यकर्ता का आवेदन अभी भी सीएमएस व सीएमओ कार्यालय के बीच अटका पड़ा है। जिससे आयोग के बाद भी आवेदक को सूचना नहीं उपलब्ध कराई गई।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बेपटरी हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विभागीय अधिकारी गंभीर नहीं हैं। इस संबंध में जब जानकारी मांगी गई तो अधिकारी आनाकानी करने में जुटे हैं। आलम यह है कि तीन वर्ष बाद भी विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। आरटीआइ कार्यकर्ता का आवेदन अभी भी सीएमएस व सीएमओ कार्यालय के बीच अटका पड़ा है। आयोग के निर्देश के बाद भी आवेदक को सूचना नहीं उपलब्ध कराई गई।
सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन आरटीआइ आवेदक ने तीन वर्ष पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में आवेदन कर सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की तैनाती, दवाओं की खपत, निर्माण कार्यो पर व्यय धनराशि व सीएमओ कार्यालय में एल्युमीनियम व फर्निचर के कराए गए कार्यो के संबंध में जानकारी मांगी थी। समय से जानकारी न मिलने पर आवेदक ने राज्य सूचना आयोग की अदालत में अपील किया। आयोग की अदालत ने आवेदक को सूचना उपलब्ध कराकर स्पष्टीकरण दिए जाने का सीएमओ को निर्देश दिया है। मामला फंसता देख सूचना उपलब्ध कराने के बजाए सीएमओ कार्यालय से तीन अक्टूबर को पत्र भेजकर सूचना देने के लिए महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल में भेज दिया गया। अब जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने भी दो दिसंबर को सीएमओ को पत्र भेजकर सूचना उनसे संबंधित होने का हवाला देकर उपलब्ध कराने को कहा है।