अफसरों की उदासीनता, उद्देश्य से भटक गई आइजीआरएस
मारपीट की शिकायत हो अथवा भूमि विवाद
अफसरों की उदासीनता, उद्देश्य से भटक गई आइजीआरएस
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मारपीट की शिकायत हो या भूमि विवाद। नाली- खड़ंजा का मामला हो या किसी सरकारी योजनाओं में बंदरबांट की शिकायत। एक बार किसी ने शिकायत कर दी तो उसका निस्तारण कराने में शिकायतकर्ता- पीड़ित अधिकारियों की चौखट का चक्कर काटते-काटते परेशान हो जाता है। कहीं पर पुलिस कर्मी झांसा देकर अपनी जेब गरम करते हैं तो कहीं तहसील और कलेक्ट्रेट कर्मी। समय के साथ ही साथ धन की बर्बादी और मानसिक उलझन अलग से।
ऐसे बेलगाम और लापरवाह अफसरों एवं कर्मियों की नकेल कसने के लिए शासन की ओर से बनी आइजीआरएस (इंटीग्रेटेड ग्रीवांश रिड्रेशल सिस्टम) यानी समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली फ्लाप साबित होती दिख रही है। अभी हाल ही में कराई गई रैकिंग में प्रदेश में जनपद फिसड्डी साबित हुआ है। हालांकि जिलाधिकारी आर्यका अखोरी ने अधिकारियों के साथ बैठक कर सख्त हिदायत दी है कि मामले डिफाल्टर हुए तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शिकायतों के निस्तारण को लेकर गंभीर मुख्यमंत्री बार-बार अधिकारियों को चेतावनी दे रहे हैं लेकिन इसके बाद भी रवैया में सुधार नहीं हो रहा है। इस व्यवस्था के तहत शिकायतों की फीडिंग करने के साथ ही साथ उसके निस्तारण करने का भी समय निश्चित कर दी जाती है। इसके साथ ही साथ अन्य विभागों के अधिकारियों के भी आइडी और पासवर्ड जारी किए जा चुके हैं। फिर भी तीन साल बीत गए लेकिन आइजीआरएस सफल होती नहीं दिख रही है। अपनी गर्दन बचाने के चक्कर में अधिसंख्य पटलों पर शिकायतों को आइजीआरएस पर फीड नहीं करते हैं। अधिकारियों के जनता दर्शन के भी अधिसंख्य मामले भी बगैर फीड किए मैनुअल ही संबंधित अधिकारी के यहां भेज दिया जाता है। अपर जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि जिलाधिकारी आइजीआरएस पोर्टल पर मिली शिकायतों को लेकर गंभीर हैं। अधिकारियों को इस संबंध में चेतावनी भी दी गई है कि 30 जून तक एक भी मामले लंबित नहीं होने चाहिए। डिफाल्टर होने पर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।