बिहार से 80 फीसद मजदूर लौटे, दौड़ा कालीन कारोबार
राहत ----------- सब हेड - पश्चिम बंगाल के श्रमिक अभी फंसे तैयार होने लगे पुराने आर्डर
राहत
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सब हेड :- पश्चिम बंगाल के श्रमिक अभी फंसे, तैयार होने लगे पुराने आर्डर के कालीन
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- कारखानों में पटरी पर लौटता दिख रहा उत्पादन
- वर्चुअल फेयर को देखते हुए तैयारी में आई है तेजी
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जागरण संवाददाता, भदोही : दूसरे वर्चुअल फेयर की तैयारी में कालीन निर्यातक जुट गये हैं। बाधाएं दूर होती दिख रही हैं। बिहार के 80 फीसद मजदूर अब वापस लौट आये हैं। वे लॉकडाउन के चलते अपने घर लौट गये थे। उनके आने से कालीन कारखानों में काम रफ्तार पकड़ चुका है। पहले इंटरनेशनल कारपेट वर्चुअल फेयर में मिले आर्डर को पूरे करने की कसरत तेज हो गई है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत चार देशों के निर्यातकों के साथ 29 सितंबर से होने वाले दूसरे फेयर की तैयारी भी जोर पकड़ चुकी है। पश्चिम बंगाल के श्रमिक हालांकि अभी नहीं लौट सके हैं, इसके पीछे ट्रेन सेवा पूरी तरह बहाल नहीं होना बताया जा रहा है लेकिन कालीन कारोबार अब रफ्तार पकड़ता हुआ प्रतीत हो रहा है।
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28 हजार बिहारी मजदूर जुड़े हैं कारोबार से
भदोही में करीब 500 कालीन कारखानों में करीब 28 हजार बिहारी बुनकर काम करते हैं। पश्चिम बंगाल के भी 12 हजार मजदूर हैं। ये सभी कालीन की धुलाई और फिनीशिग कार्य करते हैं। कारखानों में टफ्टेड, दरी और हस्तनिर्मित कालीनों के साथ हैंडलूम उत्पाद तैयार होते हैं। उत्पादन में बिहार, पश्चिम बंगाल के अलावा मध्य प्रदेश के भी मजदूर होते हैं। वे बुनकरी भी करते हैं।
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ज्यादातर लौटे 12 सितंबर को : अनलॉक-1 के दौरान यातायात नियमों में छूट मिलने के बाद बिहारी श्रमिकों के लौटने का सिलसिला शुरू हो चुका था। बीते 12 सितंबर से चल रही धनबाद-फिरोजपुर स्पेशल किसान एक्सप्रेस से भी उनका आवागमन तेज हो गया है। इसी ट्रेन से कई बुनकर वापस आ रहे हैं। ---------------
दरी कारखाने में 15 लूम पर 36 बुनकर काम करते थे। लॉकडाउन में सभी लूम बंद रहे। एक माह पहले 14 बुनकरों की वापसी के बाद सात लूम पर काम शुरू हुआ था। 28 बुनकरों की वापसी हो चुकी है। पुराने आर्डर पूरे किये जा रहे हैं।
चित्र 17-कमाल खान, कारखाना संचालक, घमहापुर 12 लूम वाले उनके कारखाने में 28 बुनकर थे। पिछले माह 11 बुनकरों की वापसी होने के बाद कामकाज शुरू हुआ था। 22 बुनकरों की वापसी हो चुकी है। लंबे समय से ठप काम पटरी पर आ गया है।
चित्र 18-मेराज अंसारी, कारखाना संचालक, घमहापुर बिना बुनकरों के कालीन नगरी में उत्पादन गतिविधियां ठप थी लेकिन बुनकरों की अब तेजी से वापसी हो रही है। ऐसे में पुराने आर्डर के माल जल्द से जल्द तैयार कराना प्राथमिकता होगी।
चित्र 19-जयप्रकाश गुप्ता, वरिष्ठ कालीन निर्यातक