चित्र 3 --- खरीद केंद्रों पर डंप है 3,000 टन धान, उठान नहीं कर रहे मिलर
खरीद केंद्रों पर 3000 टन धान डंप पड़ा हुआ है। मिल मालिक एग्रीमेंट करा लिए है लेकिन उठान नहीं कर रहे हैं। उनका आरोप है कि शासन 67 फीसद चावल मांग रहा है जबकि 65 फीसद मिलना मुश्किल हो जाता है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बिगड़े मौसम ने धान खरीद केंद्रों के प्रभारियों सहित उच्चाधिकारियों की नींद उड़ा दी है। आलम यह है कि खरीद केंद्रों पर 3,000 टन धान डंप पड़ा हुआ है। मिल मालिक एग्रीमेंट करा लिए है लेकिन उठान नहीं कर रहे हैं। उनका आरोप है कि शासन 67 फीसद चावल मांग रहा है जबकि 65 फीसद मिलना मुश्किल हो जाता है।
किसान औने-पौने दाम पर बिचौलियों अथवा व्यापारियों को उत्पादन बेचने के लिए मजबूर थे। मुख्यमंत्री ने किसानों को उचित मूल्य दिलाने और उनकी सुविधाओं को ध्यान में रखने के लिए अफसरों पर शिकंजा कस दिया था। केंद्रों पर खरीद तो कर लिया गया है लेकिन उठान नहीं हो पा रहा है। अभिलेखों पर गौर किया जाए तो जिले में 99, 000 टन धान खरीद का लक्ष्य दिया गया है। इसके सापेक्ष अब तक विपणन सहित अन्य केंद्रों पर 3,000 टन खरीद हो चुकी है। चावल तैयार करने के लिए जिले में 31 मिलरों से अनुबंध किया गया है। मिलर अभी तक धान मिल तक ले जाने में कन्नी काट रहे हैं। जिला विपणन अधिकारी श्याम कुमार मिश्रा का कहना है कि शासनादेश के मुताबिक मिलर को 67 फीसद चावल देना ही है। इसके लिए ए्ग्रीमेंट भी कर दिया गया है। शीघ्र ही धान का उठान शुरू हो जाएगा।
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अब मिलरों के माध्यम से शुरू हुआ खेल
विपणन केंद्रों पर अब मिलरों के माध्यम से खेल शुरू हो गया है। खरीद शुरू होने के पहले गोसाइबाजार स्थित एक राइस मिलर का गोदाम भरा था। जैसे ही खरीद शुरू हुई कि उसका गोदाम खाली हो गया। बताया जा रहा है कि मिलर का तार जनपद के एक केंद्र प्रभारी से जुटा हुआ है। मिलर पूरा धान उसके केंद्र पर गिरा दिया। यह तो एक बानगी भर है। इसके अलावा भी केंद्र प्रभारी सीधे मिलर से मिलकर धान की खरीद करवा कर काले को सफेद करने में जुटे हुए हैं जबकि केंद्र पर आने वाले किसानों को किसी न किसी बहाने से वापस भेज दिया जाता है।