देश की सीमा सुरक्षा को तैयार कर दिए 250 जवान
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) देश के अमर बलिदानियों की बदौलत गुलामी की बेड़ियों से मि
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : देश के अमर बलिदानियों की बदौलत गुलामी की बेड़ियों से मिली मुक्ति के बाद उन्मुक्त व खुली हवा में सांस लेने की जितनी अधिक खुशी थी उससे कहीं ज्यादा चिता यह कि सरहद की रक्षा कैसे हो। इसे भी हमारे वीर जवानों ने चुनौती के रूप में लिया। आजादी के 75 वर्ष बाद भी वे न केवल सीमा की रक्षा में लगे हुए है बल्कि जवानों की नई पौध भी तैयार कर रहे हैं। ऐसे ही एक जवान हैं गोपीगंज के मदनपुर गांव निवासी मुरलीधर बिद। वे देश के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने 1988 में मलेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ओपन मैराथन दौड़ में भारत को कांस्य पदक दिलाया था। उस दौड़ में अमेरिका प्रथम और फिलिपिन दूसरे नंबर था। इसके पूर्व वे स्पोर्ट्स कोटे से तीन जनवरी 1977 में सेना (बीएसएफ) में भर्ती हुए थे। सरहद की सुरक्षा के बाद 31 अगस्त 2015 को कमांडेंट पद से सेवानिवृत्ति हुई तो उन्होंने जवानों की पौध तैयार करने का बीड़ा उठाया। ग्रामीण क्षेत्रों में छिपी प्रतिभाओं को तराशने की ओर कदम बढ़ाया तो युवाओं में छाया अंधेरा प्रकाश में बदल गया। चकपड़ौना स्थित मैदान में युवाओं को प्रशिक्षित कर देश की सुरक्षा के लिए जांबाजों की नई पीढ़ी को तैयार करना शुरू कर दिया। इस मैदान से निकलकर कौलापुर, छतमी, होलपुर, मदनपुर आदि गांवों के 250 युवा सीमा सुरक्षा बल व आर्मी के अलावा रेलवे और उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित अन्य प्रदेशों के पुलिस विभाग में योगदान किया और देश की सेवा में जुटे हुए हैं।