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भदोही से कालीन मांग रहीं दुनिया की 22 कंपनियां

प्रमुख कालीन निर्यातक संजय गुप्ता ने बताया कि भारत में कालीन के ट्रांसपोर्ट पर कोई रोक नहीं है। यहां से शिप के जरिये मॉल भेजा जा रहा है। इसमें कालीन भी जा सकता है और आयातकों की डिमांड पूरी की जा सकती है। दिक्कत यह है कि तैयार कालीन की फिनिशिग होनी है इसलिये प्रशासन शारीरिक दूरी बनाते हुए इस कार्य की अनुमति दे तो मृतपाय हो चुका कारोबार एक बार जिदा हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 06:58 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2020 06:03 AM (IST)
भदोही से कालीन मांग रहीं दुनिया की 22 कंपनियां
भदोही से कालीन मांग रहीं दुनिया की 22 कंपनियां

- बड़ी बात

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कोरोना से पस्त कई देशों ने खड़े किये हाथ, भदोही में ऑनलाइन खोजने निकले वेराइटी

- कई एक्सपोर्टर को भेजा ऑडियो व फोटो, मांग रहे हैं नॉटेड कारपेट

- दो हजार करोड़ के कारपेट रखा है तैयार, बस फिनिशिग का इंतजार

संग्राम सिंह, भदोही

हमें तीन बाई ढाई मीटर का नॉटेड कारपेट चाहिये तुरंत। क्या है आपके पास, अगर है तो बताएं। आस्ट्रियॉ के एक आयातक का गोपीगंज के एक बड़े निर्यातक के व्हाट्स एप पर शनिवार सुबह 11 बजे यह ऑडियो मैसेज आया है। आयातक ने रिप्लाई भेजा है कि माल तो है लेकिन वह नहीं दे सकते। यह वाकया तो सिर्फ बानगी भर है, दरअसल सच्चाई यह है कि दुनिया के कालीन आयातक भदोही की कालीन इंडस्ट्री पर खास नजर गड़ाए हुए हैं। क्योंकि ज्यादातर देश इस समय कोरोना से तबाह हो चुके हैं। इसलिये दुनिया की 22 आयातक कंपनियों ने भदोही के कई एक्सपोर्टर से ऑनलाइन संपर्क करना शुरू कर दिया है। वे अपनी डिमांड भेज रहे हैं और उसे पूरा करने का इंतजार कर रहे हैं। कारण कि भदोही, मीरजापुर, वाराणसी और गोपीगंज की कारपेट इंडस्ट्री में करीब छह सौ कारोबारी हैं, इनके यहां दो हजार करोड़ रुपये की कालीन बनकर तैयार है। वह उनके गोदामों में रखी है। फिनिशिग हो जाए तो वे आयातकों की डिमांड पूरी कर सकते हैं।

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विदेशों में नहीं हैं ऑनलाइन डिलेवरी पर रोक

इस वक्त कालीन कारोबार का ट्रेंड विदेशों में बदल चुका है। वेयर हाउस से आयातक अब ऑनलाइन पोर्टल की ओर रुख कर दिये हैं। चूंकि कोरोना के चलते उनके वेयर हाउस बंद हैं, इसलिये वे पोर्टल से ही आर्डर ले रहे हैं और भुगतान सभी एक्सपोर्टर को कर रहे हैं। भारतीय बाजार में ऑनलाइन डिलेवरी पर रोक है, लेकिन दुनिया में चालू है। वहां फ्लिपकार्ट, एमाजॉन और स्नैपडील समेत कई कंपनियां कारपेट की ऑनलाइन डिलेवरी कर रही हैं।

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इन देशों से सर्वाधिक डिमांड

जर्मनी, स्वीट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया और इजराइल।

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फीसद वार तैयार कालीन

50 : फीसद नॉटेड कालीन

30 : फीसद टप्टेड कालीन

10 : फीसद दी

10 : फीसद आउटडोर, कष्टम व डिजाइनर कारपेट

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भारत में ट्रांसपोर्ट पर कोई रोक नहीं

प्रमुख कालीन निर्यातक संजय गुप्ता ने बताया कि भारत में कालीन के ट्रांसपोर्ट पर कोई रोक नहीं है। यहां से शिप के जरिये मॉल भेजा जा रहा है। इसमें कालीन भी जा सकता है और आयातकों की डिमांड पूरी की जा सकती है। दिक्कत यह है कि तैयार कालीन की फिनिशिग होनी है, इसलिये प्रशासन शारीरिक दूरी बनाते हुए इस कार्य की अनुमति दे तो मृतपाय हो चुका कारोबार एक बार जिदा हो जाएगा। इस प्रशासनिक कदम का छह सौ कारोबारी इंतजार कर रहे हैं। 22 छोटी और बड़ी आयातक कंपनियां बड़ी आशा भरी निगाहों से भदोही के कालीन इंडस्ट्री की ओर देख रही हैं, क्योंकि यहां पर कोरोना का संक्रमण नहीं है। वे यहां की इंडस्ट्री के लिये बहुत ही सकारात्मक हैं।


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