भदोही में मिले डेंगू से पीड़ित 11 मरीज
शासन की ओर से स्वास्थ्य सुविधाओं पर लाखों खर्च कर भले ही तमाम दावे किए जा रहे हैं। लेकिन जनपद सृजन के 25 वर्ष बाद भी जिले में डेंगू बुखार के रोगी के ईलाज की समुचित व्यवस्था अस्पतालों में नहीं हो पाई। इतना ही नहीं यहां तो डेंगू बुखार की पुष्टि के लिए जांच की सुविधा नहीं है। जिससे इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आने पर मरीजों को बड़े शहरों में स्थित अस्पतालों की ओर रुख कर आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।
विभूति नारायण दुबे, ज्ञानपुर, भदोही
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जिले में अब खतरनाक बीमारी डेंगू ने दस्तक दी है। 11 मरीज मिले हैं, इनके प्लेटलेट्स काउंट तेजी से गिरे हैं। मलेरिया विभाग के अक्टूबर का आंकड़ा जारी किया है। उसमें इन 11 मरीजों में डेंगू होने की पुष्टि हुई है। जिला मलेरिया विभाग ने अब अलर्ट जारी किया है। नगर निकाय, पंचायत राज विभाग और स्वास्थ्य विभाग को सीधे तौर पर चेताया है कि अगर बचाव के इंतजाम नहीं हुए तो हालत गड़बड़ हो जाएगी। प्लेटलेट्स चढ़ाने का जिले में कोई बंदोबस्त नहीं है, जिससे प्रभावित सभी मरीजों को वाराणसी समेत अन्य बड़े शहरों में रेफर किया गया है। ढाई दशक से इलाज के नहीं हैं कोई इंतजाम
जनपद सृजन के 25 वर्ष बाद भी जिले में डेंगू बुखार का इलाज यहां नहीं होता। जांच की भी सुविधा नहीं है, जिससे इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आने से मरीजों को बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है। डेंगू का संदेह होने पर कुछ चिकित्सक उपचार महज लक्षण के आधार पर कर रहे हैं। उधर कई प्राइवेट अस्पतालों में जांच केंद्रों की व्यवस्था तो है, लेकिन संचालकों द्वारा डेढ़ हजार रुपये तक शुल्क वसूले जा रहे हैं। यहां प्लेटलेट्स मिल ही नहीं रहे हैं। महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल, महाराजा बलवंत सिंह चिकित्सालय के अलावा सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थित है, मगर व्यवस्था कुछ नहीं। डेंगू से पीड़ित ये मरीज : समधा के कमला शंकर दुबे, बीरमपुर निवासी सरस्वती देवी, रजईपुर के चंद्रशेखर यादव, तलवा के नंदलाल यादव, सदौपुर के संतोष कुमार, चकबेदुआं निवासी अंकित शुक्ला, पुरानी बाजार सुरियांवा के सौरभ व गौरव, अइनछ निवासी नीरज सोनी, रजईपुर के रमाशंकर व माधोपुर निवासी कुलदीप। डेंगू के लक्षण
मच्छरों के वायरस से डेंगू बुखार फैलता है, फिर तेज बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। साथ ही मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है। नसों में रिसाव होता है। प्लेटलेट्स काउंट गिरने लगता है। डेंगू शॉक सिड्रोम है, जिससे रक्तचाप भी कम हो जाता है। ऐसे आते हैं जद में
डेंगू बुखार एक एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। वह किसी डेंगू पीड़ित का खून पीता है तो उस मच्छर में डेंगू वायरसयुक्त खून चला जाता है। जब यह संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है तो डेंगू वायरस उस स्वस्थ व्यक्ति में चला जाता है। ऐसे करिये बचाव
-डेंगू फैलाने वाले मच्छर स्थिर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिये अपने घर के इर्द-गिर्द पानी जमा न हो।
-कूलर, पानी का टंकी, बर्तन, फूलदान, नारियल का खोल व टायर के पानी को खाली करें।
-बुखार अधिक समय तक रहे तो चिकित्सकीय सलाह जरूर लें।
-लक्षण महसूस होने पर पास के चिकित्सालय में खून की जांच कराएं। डॉक्टर भी गंवा चुके हैं जान
डेंगू की वजह से पिछले वर्ष सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोपीगंज में तैनात चिकित्सक अभय सिंह की मौत हो चुकी है। बलिया के गोराई निवासी डा अभय सिंह 2010 से यहां तैनात थे। 2015 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक थे। इसी तरह गोपीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डा. एसएस यादव भी डेंगू से पीड़ित हुए थे। ''महज मलेरिया विभाग के कर्मियों के भरोसे छिड़काव किया जाना संभव नहीं है। एलाइजा जांचोपरांत विभागीय स्तर से जो रिपोर्ट मिलती है, उससे प्रभावित गांवों में मेरे स्तर से छिड़काव और फागिग कराई जाती है। जहां लक्षण मिले थे वहां छिड़काव कराने की कार्रवाई की जा चुकी है।
-रामआसरे पाल, जिला मलेरिया अधिकारी, भदोही। कूड़े में पनप रही बीमारी
भले ही नगरों में सफाई के नाम पर लाखों का वारा-न्यारा होता हो लेकिन शायद ही कोई नगर होगा, जहां साफ-सफाई की व्यवस्था चुस्त दुरुस्त हो। नालियों में बजबजा रहा कचरा तो खुले में कूड़ा निस्तारण से संक्रामक बीमारियों से जूझ रहे हैं। जनपद के गोपीगंज, खमरिया, भदोही, सुरियावां, नई बाजार, घोसियां व ज्ञानपुर में साफ-सफाई की बदहाल व्यवस्था से अस्पतालों में मलेरिया, डेंगू आदि संक्रामक रोगियों की तादाद निरंतर बढ़ रही है।