खेत में सूख कर बर्बाद हो रही सब्जियां
बाजार आवागमन बंद होने से बिक्री हो गई प्रभावित - किसान मंडियों में नहीं पहुंचा पा रहे सब्जियों की खेप
बस्ती : कोरोना महामारी में सब्जी कारोबार यहां ठप सा हो गया है। लॉकडाउन में एक माह से बाजार, मंडी, आवागमन सब बंद है। खेतों में तैयार सब्जियां सूखकर बर्बाद हो रही है। किसान खेतों में मुरझा रही सब्जियों को देख चितित है। यदि लॉकडाउन के नियमों के पालन के साथ सब्जी कारोबारी को छूट मिली होती तो यह दिन देखने को नहीं मिलता। सब्जियों की निर्बाध आपूर्ति से मूल्य भी नियंत्रण में रहता। छिप छिपाकर छोटे कारोबारी देहात से साइकिल एवं ठेलों से सब्जी लाकर अधिक मूल्य पर शहरी क्षेत्र में बेच रहे हैं।
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सरयू के दियारा में सूख रहा परवल
कुदरहा : सरयू के दियारा में परवल की खेती मशहूर है। लॉकडाउन ने इस उपज की खपत पर ग्रहण लगा दिया है। यहां नदी के किनारे रेत के खेत में तमाम किसान परवल की खेती करते हैं। फसल तैयार होते ही लॉकडाउन लग गया। जिससे व्यापारी नहीं पहुंच पा रहे है। रामपुर से कलवारी तक 12 किमी लंबाई के भूभाग में बड़े पैमाने पर परवल की फसल तैयार है। अपेक्षित खरीद न होने से यह खेत में ही सूखकर बर्बाद हो रहा है। किसान नन्हें, सुभग, राम बेलास, कपिल देव संतबली, रामहित, अलगू, तीरथ ने बताया कि व्यापारियों के न आने से खेत खाली नहीं हो पा रहा है। आम ग्राहक को 60 से 70 रुपये किलो में मिलने वाला परवल हमसे 20 रुपये में खरीदा जा रहा है।
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गायघाट : सब्जी की खेती करने वाले किसानों की लागत निकल पाना मुश्किल हो गया है। कुछ किसान तो व्यापारी न आने से खुद ठेले से सब्जी बेच रहे हैं। इन दिनों क्षेत्र में तरोई, अरवी, बैगन, टमाटर, लौकी, करेला की खेती लहलहाई है। अरमान था कि इससे अच्छी खासी पूंजी तैयार होगी। लेकिन समय की मार ने पानी फेर दिया। गायघाट निवासी कासिम ने एक बीघा खेत में बहस हजार की लागत से तरोई का उत्पादन किया गया है। अब पूंजी निकलना मुश्किल है। पप्पू मौर्य व सुरेंद्र ने बताया कि उनके खेत में सब्जी बर्बाद हो रही है।
------------------ खेत में तैयार है लौकी
रुधौली : क्षेत्र में टमाटर, लौकी, भिडी, तरोई, खीरा, बैगन, ककड़ी, हरी मिर्च आदि की खेती तैयार है। लेकिन लॉकडाउन के चलते किसान अपनी सब्जियों का वाजिब रेट नहीं पा रहे हैं। खेत खाली करने के लिए किसान अपनी सब्जियों को औने-पौने दामों में बेच रहे हैं। आवागमन न होने से हरी सब्जियां आम ग्राहकों तक नहीं पहुंच पा रही है। होटल, रेस्तरां, शादी-विवाह सब बंद होने से सब्जियों की खपत भी कम हो गई है। बांसखोर कला निवासी सऊद अहमद, मो. याकूब बताते हैं कि इन दिनों टमाटर 20-25 रुपये प्रति किलो बिकना मुश्किल हो गया है। लौकी 5 रुपये और भिडी, बैगन का प्रति किलो 20 रुपये मिल रहा है।