नलकूपों को आपरेटर की दरकार, कैसे बहे पानी की धार
बस्ती जिले में इस समय केवल कागजों में नलकूप पानी दे रहे हैं।
जागरण संवाददाता, रखौना, बस्ती : सरकार किसानों की आय दोगुना करने पर जोर दे रही है। राजकीय नलकूपों से निश्शुल्क सिचाई व्यवस्था भी लागू की है, लेकिन यह सब किसानों के लिए महज छलावा है। नलकूप चालकों के अभाव में अधिकतर नलकूप बंद पड़े हैं। केवल कागजों में नलकूप पानी दे रहे हैं। कुदरहा ब्लाक में फसलों की सिचाई के लिए 39 राजकीय नलकूप स्थापित हैं। इनके संचालन के लिए महज सात चालकों की तैनाती है। एक चालक के जिम्मे छह नलकूपों की देख रेख का दायित्व है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नलकूप चालक कितने मुस्तैदी से अपना काम करते होंगे। विभाग की मानें तो एक चालक के जिम्मे एक नलकूप होना चाहिए। यह अनुपात चालकों की नियुक्ति न होने के गड़बड़ा गया है। कर्मचारी घटते गए और नलकूप स्थापित होते गए। हाल ही में हुई नलकूप चालकों की नियुक्ति से हालात कुछ सुधरे हैं। ब्लाक को चार नए नलकूप चालक मिले हैं। इसके पहले महज चार चालक के जिम्मे नलकूप संचालन की व्यवस्था थी। एक नलकूप से 30-35 एकड़ खेत की सिंचाई होती है। यानी कुदरहा ब्लाक के करीब 12 सौ एकड़ भूमि पर यह सिचाई कर रहे हैं। ब्लाक के कड़सरी मिश्र में पांच साल पूर्व स्थापित नलकूप देखरेख के अभाव में बंद पड़ा है। यही हाल जगरनाथपुर में स्थापित नलकूप का है। जबसे स्थापित हुआ है एक सीजन भी फसल की सिंचाई नहीं हो पायी है।
अवर अभियंता नलकूप खंड शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि नलकूप चालकों की संख्या कम होने से समस्या होती है। सभी नलकूपों का संचालन हो रहा है। कुछ जगह खराबी है उसे दूर कराया जाएगा।