ट्रामा सेंटर के भवन में इमरजेंसी सेवा
डा. फखरेयार हुसैन प्रभारी सीएमओ बस्ती ने बताया कि जिले में निजी क्षेत्र में कोई भी ट्रामा सेंटर संचालित नहीं है। जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर के लिए भवन बनकर तैयार है लेकिन जरूरी उपकरण न होने से अभी उसका संचालन नहीं हो पा रहा है।
बस्ती : ट्रामा सेंटर के भवन में जिला अस्पताल की इमरजेंसी सेवाएं चल रही हैं। सुविधाओं के नाम पर फिसड्डी है। यह हाल है बस्ती के ट्रामा सेंटर का।
नेशनल हाईवे किनारे बसे जिलों में ट्रामा सेंटर खोलने की पहल 10 साल पहले की गई थी। भवन बनकर तैयार हो गया और ट्रामा सेंटर के लिए जिला अस्पताल को सौंप भी दिया गया। हालांकि ट्रामा सेंटर अब तक मूर्त रूप नहीं ले सका है। ट्रामा सेंटर में केवल इमरजेंसी सेवाएं दी जा रही है। पूरे जिले में निजी क्षेत्र में भी ट्रामा सेंटर नहीं है। सड़क हादसे में घायल होने वाले मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद गोरखपुर अथवा लखनऊ रेफर दिया जाता है।
नेशनल हाइवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में मृत्युदर में कमी लाने के लिए अत्याधुनिक ट्रामा सेंटर खोले जाने की सरकार की मंशा धराशायी हो गई है।बस्ती में ट्रामा सेंटर के लिए भवन का निर्माण वर्ष 2010-11 में कराया गया। भवन मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने शासन से ट्रामा सेंटर के संचालन के लिए जरूरी सुविधाओं और जीवन रक्षक उपकरणों की मांग की। लेकिन अभी तक जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। ऐसे में ट्रामा सेंटर केवल कागजी साबित हुआ है। बस्ती में न तो कोई न्यूरो और न ही हर्ट विशेषज्ञ है। खाली बिल्डिग में इमरजेंसी सेवाओं संचालित की जाने लगी।
लोगों को उम्मीद है कि एक न एक दिन ट्रामा सेंटर जरूर चलेगा। इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी, ताकि दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल को त्वरित इलाज करते हुए उसकी जान बचाई जा सके, लेकिन अभी लोगों को इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा। ट्रामा सेंटर न होने से लोगों को लखनऊ जाना पड़ता है। ऐसे में तमाम गंभीर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। ट्रामा सेंटर के लिए यह है मानक
- चार आपरेशन थियेटर होने चाहिए। इसमें न्यूरो, हड्डी व पेट के लिए अलग-अलग आपरेशन थियेटर हों।
- आइसीयू की सुविधा होनी चाहिए।
- ब्लड बैंक, एमआरआइ व सीटी स्कैन की सुविधा होनी चाहिए।
- 24 घंटे सिर से पैर तक की सर्जरी के लिए एक ही छत के नीचे पूरी सुविधा
- न्यूरो सर्जन व आर्थोपेडिक सर्जन सहित दूसरे सभी सर्जर 24 घंटे ट्रामा सेंटर में ही मौजूद रहें। आनकाल की सुविधा इसमें नहीं होती। यानी आठ-आठ घंटे की ड्यूटी पर प्रत्येक विधा के तीन विशेषज्ञ होने चाहिए। ट्रामा सेंटर के संचालन के लिए प्रयासरत हैं। जीवनरक्षक उपकरण व जरूरी मशीनों के लिए लगातार डिमांड की जा रही है। यदि सभी सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं तो जल्द ही इसका संचालन कराया जा सकता है।
डा. आलोक वर्मा, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल बस्ती
डा. फखरेयार हुसैन, प्रभारी सीएमओ बस्ती ने बताया कि
जिले में निजी क्षेत्र में कोई भी ट्रामा सेंटर संचालित नहीं है। जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर के लिए भवन बनकर तैयार है, लेकिन जरूरी उपकरण न होने से अभी उसका संचालन नहीं हो पा रहा है।