विशाखापट्टनम से बस्ती पहुंचने में लगे साढ़े तीन साल
एक मामला बुधवार को प्रकाश में आया जब वर्ष 2014 में खाद लेकर विशाखापट्टनम से चला वैगन साढ़े तीन साल बाद बुधवार को बस्ती पहुंचा। वैगन के यहां पहुंचते ही अधिकारी व कर्मचारी आश्चर्य में पड़ गए।
बस्ती : रेल विभाग में कभी-कभी ऐसी बात हो जाती है कि सुन कर आश्चर्य होता है। ऐसा ही एक मामला बुधवार को प्रकाश में आया जब वर्ष 2014 में खाद लेकर विशाखापट्टनम से चला वैगन साढ़े तीन साल बाद बुधवार को बस्ती पहुंचा। वैगन के यहां पहुंचते ही अधिकारी व कर्मचारी आश्चर्य में पड़ गए। संबंधित को सूचना दी गई। हालांकि जिस वैगन को इंडियन पोटास लिमिटेड कंपनी ने बुक किया था, वही यहां पहुंचा। वैगन में जो खाद लदी है, उसके संबंध में बताया जा रहा है कि 50 फीसद खाद प्रयोग लायक नहीं हैं। इधर इंडियन पोटास लिमिटेड ने जांच कराने के बाद ही खाद लेने की बात कही है। इस चूक का खामियाजा कौन भुगतेगा, यह तय करना भी अफसरों के लिए चुनौती बन गया है।
तीन नवंबर 2014 को बस्ती से इंडियन पोटास लिमिटेड ने विशाखापटनम से डीएपी खाद 42 वैगन बुक किया था। विशाखापट्टनम पोर्ट रेलवे स्टेशन से चलकर बस्ती आना था। इसमें से 41 वैगन तो मालगाड़ी लेकर बस्ती अपने समय से पहुंची थी। एक वैगन गायब हो गया। तभी से आइपीएल के अधिकारी व मेसर्स रामचंद्र गुप्ता दर्जनों पत्र रेलवे को लिखे। कहीं कुछ पता नहीं चला। अचानक बुधवार यानी 25 जुलाई 2018 को सुबह एक मालगाड़ी में भटका वैगन (एसई 107462) बस्ती स्टेशन पहुंचा। माल गोदाम के इंचार्ज जेके ¨सह को सूचना दी गई। जांच-पड़ताल शुरू हुई तो पता चला कि पुरानी बस्ती के मेसर्स राजेंद्र के लिए आइपीएल ने वैगन बुक कराकर डीएपी खाद मंगाया था। तय समय में वैगन नहीं पहुंच पाया था। यह वैगन कहां रह गया था कोई बताने वाला नहीं है। वैगन में 1316 डीएपी खाद की बोरियां मिली हैं, जो अधिकतर खाद जम गई है। कुद बोरियां फट गईं हैं।
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13 सौ 26 किलो मीटर तय करने में लगे 3 साल 8 माह 22 दिन
वैसे तो रेलवे की लेटलतीफी जगजाहिर है। खासकर माल गाड़ियों की। खैर, इतना तो सब जानते हैं कि मालगाड़ी लेट रहती है पर, इतना भी लेट हो जाए तो आश्चर्य की बात है। 13 सौ 26 किलो मीटर रेल मार्ग का सफर तय करने में 3 साल 8 माह 22 दिन लग गए। जबकि विशाखापटनम से बस्ती स्टेशन तक पहुंचाने में कुल समय 42 घंटे 13 मिनट लगते हैं।
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कराई जाएगी खाद की जांच
आइपीएल के अधिकारी डीके सक्सेना ने बताया कि डीएपी खाद है इसमें बहुत ज्यादा समस्या नहीं आती है, फिर भी तत्व की जांच कराई जाएगी। प्रयोग लायक होगी तो डीलरों को दिया जाएगा। समय से खाद मिली नहीं है, ऐसे में अभी कुछ कहना ठीक नहीं है। डीलर दिनेश गुप्ता से बात हुई है। उन्होंने जांच के बाद ही खाद बिक्री के लिए लेने को कहा है।
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मालगाड़ी में लगा वैगन कभी-कभी खराबी के चलते काट कर अलग कर दिया जाता है। हो सकता हो कि वैसा ही इस वैगन के साथ हुआ हो। जो सिस्टम में इधर-उधर घूम रहा होगा। साढ़े तीन साल तक वैगन न पहुंचना आश्चर्य की बात है। यह तो लापरवाही है, इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
संजय यादव, सीपीआरओ पूर्वोत्तर रेलवे।