प्रशिक्षित किए गए बाल विकास अधिकारी
बस्ती विकास भवन सभागार में मंगलवार को बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के बाल विकास परिय
बस्ती: विकास भवन सभागार में मंगलवार को बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के बाल विकास परियोजना अधिकारियों ( सीडीपीओ) और मुख्य सेविकाओं को समुदाय आधारित गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया गया। समुदाय आधारित गतिविधियों में अन्नप्राशन एवं गोद भराई महत्वपूर्ण हैं।
प्रशिक्षिण कार्यक्रम में यूनीसेफ के प्रशिक्षक सुरेश, इशरत एवं रवींद्र मिश्र ने हिस्सा लिया। बताया गया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाने चाहिए। प्रशिक्षक सुरेश ने बताया कि छह माह बाद शिशु की पोषण आवश्यकता बढ़ जाती है, ऐसे में केवल मां का दूध ही पर्याप्त नहीं होता है। उसे मां के दूध के साथ जरूरी आहार दिया जाना जरूरी होता है। यह आहार पूरक आहार कहलाता है। शिशु को दो वर्ष तक मां के दूध के साथ ही पूरक आहार दिया जाना चाहिए, इससे बच्चे का मानसिक व शारीरिक विकास होता है। बच्चे कम बीमार पड़ते हैं। कुपोषण से बचाव होता है।
मातृत्व पोषण के फायदे की चर्चा करते हुए प्रशिक्षक इशरत ने कहा कि उचित पोषण से गर्भपात, नवजात की मृत्युदर में कमी के साथ रक्त स्त्राव में कमी एवं नवजात का सही ढंग से विकास होता है। इन बातों का ध्यान रखते हुए ऐसी महिलाएं जो अपनी गर्भावस्था के तीसरे और चौथे माह में हैं,उनकी गोदभराई करवाना जरूरी है।
अतिकुपोषित(सैम) और कुपोषित (मैम) एवं अल्पवजन के बच्चों के प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षकों ने कहा कि सैम कुपोषण की गंभीर चिकित्सीय अवस्था है। इसके कारण बच्चों में बाल्यावस्था की बीमारियां एवं उनसे होने वाली मृत्यु का खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है। इनको चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है। जिला कार्यक्रम अधिकारी सावित्री देवी ने बताया कि शिशु एवं गर्भवती महिला का सही पोषण जरूरी है। ऐसा होने पर ही एक स्वास्थ्य समाज का निर्माण हो पाएगा।
इस मौके पर सीडीपीओ मिथलेश बौद्ध, दिलीप वर्मा, देवेंद्र कुमार मिश्र, सचिन राय, प्रभारी सीडीपीओ कामिनी कुमारी, वंदना, सरिता सिंह, सरिता वर्मा, साधना आदि मौजूद रहे।