ओवरलोड बालू ढोने से तटबंध व खेती को नुकसान
रायल्टी की अनदेखी कर हो रही बालू की ढुलाई किसान चितित
जागरण संवाददाता, बस्ती : जनपद का दक्षिणी हिस्सा बाढ़ की विभीषिका की जद में ऐसे नहीं आता। कहीं न कहीं जिम्मेदारों का भी दोष है। बालू खनन के नाम पर मनमानी की मौन सहमति सरयू का रुख हर बार बदल दे रही है। गांव के गांव तबाह हो जा रहे हैं। माझा क्षेत्र में सरयू का दियारा मशीनों से छलनी कर दिया जा रहा है। यहां रात में खनन हो रहा है। उजाला होने से पहले ही ओवरलोड बालू लदी गाड़ियां मंडी में पहुंचा दी जा रही है। इसकी निशानी है घाट तक जाने वाली धंसी सड़क। जिम्मेदार इस खेल पर कभी शिकंजा नहीं कस पा रहे हैं। किसानों के मुंह से विरोध का स्वर फूटता है तो वह दब जाता है। जागरण टीम के पड़ताल में यह हकीकत सामने आई। रायल्टी के मुताबिक नहीं हो रही ढुलाई
दुबौलिया : क्षेत्र के बरदिया लोहार घाट का पट्टा स्वीकृत हुआ है। यहां रायल्टी की अनदेखी कर बालू की ढुलाई दिन रात हो रही है। यहां ग्रामीणों की आवाज दबा दी जा रही है। बालू से ओवरलोड वाहनों की आवाजाही से बरदिया लोहार- विशेसरगंज संपर्क मार्ग धंस गया है। जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि प्रवीण कुमार ने बताया ओवरलोड वाहनों की शिकायत प्रशासन से की गई है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार ने कहा कि ओवरलोड वाहनों के पकड़े जाने पर कार्रवाई की जाएगी। वैसे यह जिम्मेदारी खनन विभाग की है। यहां धंस गया तटबंध
कुदरहा : कलवारी थाना क्षेत्र के महुआपार खुर्द बालू घाट पर भी खनन जोरों पर है। 24 घंटे के भीतर 50 से 100 भारी वाहनों का आना जाना लगा हुआ है। ओवरलोड बालू की ढुलाई के नाते कलवारी-रामपुर तटबंध जगह-जगह क्षतिग्रस्त होकर धंस गया है। बैड़ारी- गायघाट मुख्य मार्ग ओवरलोड वाहनों का भार नहीं सहन कर पा रहा है। क्षतिग्रस्त सड़क स्थानीय नागरिकों के लिए मुसीबत बन गई है। जानिए क्या है खेल
विभाग के अनुसार 12 चक्के की ट्रक पर 14 घनमीटर की रायल्टी अनुमन्य है। लेकिन इन वाहनों पर ओवरलोड 20 से 25 घन मीटर बालू प्रति चक्कर ढोया जा रहा है। 14 चक्के की ट्रक को 18 घन मीटर की रायल्टी दी जाती है। इससे 25 से 30 घन मीटर बालू की ढुलाई हो रही है।