जल संरक्षण पर सवाल, गंदगी से पटा पोखरा
रखरखाव के अभाव में बदहाल हो गया है जमदाशाही का पोखरा
बस्ती: सरकार भूगर्भ जलस्तर मेंटेन करने के लिए जलसंरक्षण पर जोर दे रही है। इसके लिए शहर से लेकर गांव तक पोखरे का निर्माण और सुंदरीकरण कराया जा रहा है, कितु जिनके उपर जल संरक्षण की मुहिम को परवान चढ़ाने की जिम्मेदारी है वही सरकार की योजनाओं का पलीता लगा रहे हैं। सरकार के तमाम प्रयास के बाद भी अफसरों की लापरवाही से ग्रामीण क्षेत्र के परंपरागत पोखरों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है।
साऊंघाट विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत जमदाशाही स्थित बड़ा पोखरा प्रशासनिक उपेक्षा का गवाह है। रखरखाव के अभाव में वर्षों पुराने पोखरे का वजूद खतरे में पड़ गया है। पूरा परिसर कूड़े करकट से भरा हुआ है। पोखरे में सिल्ट के चलते गहराई भी कम होती जा रही है। करीब 15 वर्ष से पोखरे की सफाई नहीं कराई गई है। पोखरे में पड़े कूड़े की सड़ांध से आस-पास के लोगों का दुर्गंध से जीना दुश्वार हो गया है। पानी पीने के लिए पोखरे में जाने वाले पशु कूड़ा व जलकुंभी में आए दिन फंस जाते हैं। एक सप्ताह पूर्व एक जानवर फंस गया था, जिसे मुश्किल से निकाला जा सका था। गंदगी की वजह से तमाम बीमारियां फैलती हैं। मच्छर भी गंदगी में पनपते हैं।
गांव के रमेश कुमार, प्रदीप, अकबर, शाहिद, राकेश, सुरेश का कहना है कि पहले पोखरे में पालतु जानवर और गांव के लोग स्नान करते लेकिन अब कूड़ा करकट से पोखरा पूरा गंदा हो चुका है कोई जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहा है ।
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पोखरों व तालाबों का संरक्षण प्राथमिकता में है। तहसील प्रशासन से बात कर पोखरे को अतिक्रमण मुक्त कराने के बाद मनरेगा से सुंदरीकरण कराया जाएगा।
-मंजू त्रिवेदी, खंड विकास अधिकारी, साऊंघाट।