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कागज में इंतजाम, गोशाला में कांप रहे पशु

सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे अफसर -बेसहारा पशुओं को गोशाला पहुंचाने में भी लापरवाही

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 11:12 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 11:12 PM (IST)
कागज में इंतजाम, गोशाला में कांप रहे पशु

बस्ती: सरकार भले ही गोशाला बनाकर बेसहारा पशुओं के संरक्षण के प्रति गंभीर हो लेकिन जिसके उपर सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है वह सरकार की मंशा से बेपरवाह हैं। शासन की सख्ती का भी उनके उपर कोई असर नहीं दिख रहा है। गोशालाओं में इंतजाम न होने पर जिलाधिकारी द्वारा मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि जरूर दी गई। बावजूद इसके कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।

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प्रशासन ने बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए ब्लाक व नगर निकायों में गो-आश्रय केंद्र खोले गए हैं। इन गो-आश्रय केंद्रों में ठंड से बचाव को लेकर अफसर बेपरवाह है। ठंड बढ़ रही है, पशु ठिठुर रहे हैं। लेकिन ठंड से बचाव का कोई इंतजाम नहीं है। अव्यवस्था से पशुओं की मौत भी हो रही है।

रुधौली कार्यालय के अनुसार गोशाला में बंधे पशु शाम होते ही ठिठुरने लगते हैं। रुधौली विकास खंड के ग्राम पंचायत बजहां में स्थित गोशाला में ठंडक में बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पालीथिन व तिरपाल न लगने से ठंडी हवा पशुओं को परेशान कर रही है। ठंडे फर्श पर बैठने के लिए पुआल भी नहीं डाला गया है। शाम होते ही पशु एक दूसरे से चिपक कर बैठ जाते हैं। ग्राम पंचायत मझौवा कला द्वितीय स्थित गोशाला में पशुओं के लिए चारों तरफ पालीथीन लगा दी गई है जिससे पशुओं को ठंड से बचाव के लिए कुछ राहत मिल जाती है । हालांकि पुआल व भूसा का इंतजाम नहीं है। पेयजल व इलाज की भी सुमचित व्यवस्था गोशालाओं में नहीं है।

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किसानों के लिए समस्या बने बेसहारा पशु

पशुपालन विभाग द्वारा बेसहारा पशुओं को पकड़ने में कोई रुचि नहीं ली ला रही है। गांवों में घूम रहे पशु किसान की फसल चौपट कर रहे हैं। फसल बचाने के लिए किसानों का कोई भी जतन कारगर नहीं हो पा रहा है। पशुओं के आतंक से कई किसानों ने तो इस बार गेहूं की खेती ही छोड़ दिया है।

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गो-आश्रय स्थलों पर ठंड से बचाव के हर संभव इंतजाम किए जा रहे हैं। आश्रय केंद्रों को प्लास्टिक के तिरपाल से घेरा जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में घूम रहे बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीणों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए।

-अश्वनी कुमार त्रिपाठी, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, बस्ती।


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