उत्साह में जनमानस, तन्हाई में रहकर जीतेंगे लड़ाई
रात में जला उम्मीद का दीया सभी को मिला सुकून
बस्ती : रात में उम्मीद का दीया चहुंओर जला तो भय, डर, सितम से लोग ऊपर उठ गए। सामूहिकता कहीं नहीं थी लेकिन जगमगाती रोशनी में पहाड़ जैसी एकता का प्रतिबिब हर किसी ने देखा। ताली,थाली और शंख की गूंज थी तो आसमान को भेद रही आतिशबाजी अदृश्य दुश्मन पर हर हाल में विजय पाने का संदेश छोड़ती रही।
सुबह हुई तो जनमानस में अजब उत्साह दिखा। घर की चहारदीवारी में जिदगी तन्हाई के हवाले है। गांव,शहर हो या फिर कस्बा। चहुंओर सन्नाटा बरकरार है। लेकिन इसके पीछे आत्म विश्वास का एक ऐसा समुद्र जिसकी तरंगों को छू पाना भी सूक्ष्म कोरोना के लिए कठिन लग रहा है।
सोमवार को लॉकडाउन के चलचित्र में जनमानस का बढ़ा हुआ मनोबल हर ओर दिखाई पड़ा। इस माहौल में एकता है तो दूर-दूर रहने का संदेश भी। बड़े, बुजुर्ग,महिलाएं सभी इस मुहिम में साथ हैं। बच्चों तक की चहलकदमी घरों के भीतर हो गई है। कोरोना को हराने में बड़ों के साथ उनकी भी भूमिका अहम है। रविवार की रात जब दिया जलाने की बारी आई तो घरों में इनका उत्साह देखते बन रहा था। नन्हें हाथों में मोमबत्ती, टार्च, मोबाइल की फ्लैश लाइट थी। रोशनी के प्रवाह में कोरोना के समूल नाश की आवाज जिदगी की यह नई पौध भी बुलंद करती रही। अगले दिन जरूरी कार्य से बाहर निकलने वालों के चेहरों पर सुकून का भाव साफ झलक रहा था। सब्जी, किराना, दवा और दूध की दुकान हो या अस्पताल जहां भी लोग आए आपस में दूरी बनाकर ही मिले। खरीदारी के साथ प्रेम भाव से देश-दुनिया का हाल भी लोग पूछते रहे। मानो यह सोच हर शख्स में पनप गई हो कि घर से यदि निकले तो कहीं कोरोना मानव पर हाबी न हो जाए। शहर का गांधीनगर, पुरानी बस्ती, मालवीय मार्ग से लगायत हाईवे और अन्य संपर्क मार्ग इसके गवाह बने रहे।