इस बार भी नोटा वालों की नहीं बदली पसंद
इस बार भी लोकसभा चुनाव में नोटा दबाने वाले दस हजार के पार
बस्ती : इस बार के लोकसभा चुनाव में भी नोटा (नन आफ द एवब) वालों की पसंद नहीं बदली। नोटा दबाने वालों की संख्या इस बार भी दस हजार के पार रही। पिछले लोकसभा चुनाव में नोटा प्रयोग करने वालों की संख्या में लगभग उतनी ही थी जितनी इस बार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 10168 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था। इस बार 10335 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। निर्दलीय उम्मीदवारों समेत छोटे दलों पर भी नोटा भारी रहा। यह परिणाम चुनाव पर तो असर नहीं डाल सका पर राजनीतिक दलों को इसे सबक के रूप में अवश्य लेना चाहिए। भाजपा, गठबंधन, कांग्रेस व सुहेलदेव भारतीय समाजपार्टी के बाद गिनती में नोटा ने बढ़त ली है। दलीय, निर्दलीय मिलाकर बस्ती लोकसभा सीट से 11 लोगों की दावेदारी थी। इसमें नोटा पांचवें स्थान पर रहा। 7 प्रत्याशियों के मतों की संख्या नोटा से कम रही।
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क्या है नोटा
चुनावी मैदान में दहाड़ने वाले राजनीतिक दल एवं निर्दलीय उम्मीदवारों में जब कोई पसंद न आए तो मतदाताओं को नोटा दबाने का विकल्प चुनाव आयोग ने दिया है। यह अलग बात है कि नोटा के मत प्रत्याशी के खाते में नहीं जुड़ते हैं। इसके पहले नोटा विकल्प न होने पर प्रत्याशी पसंद न आने की स्थिति में लोग मतदान ही नहीं करते थे।
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यह प्रत्याशी रहे नोटा से पीछे
नोटा- 10335
पंकज दूबे लोकगठबंधन पार्टी- 7345
प्रमोद शुक्ला राष्ट्रवादी पार्टी आफ इंडिया- 2680
राम प्रसाद चौरसिया जनहित किसान पार्टी- 3737
रोहित कुमार पाठक हिदुस्तान निर्माण दल- 3182
चंद्रमणि पांडेय निर्दल -3170
भगवानदास, निर्दल -5590
रंगीलाल यादव, निर्दल -7639
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