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रोजगार दूर, बेचारे बने मजदूर

गांव से बेरोजगारों का पलायन रोकने वाली मनरेगा रोजगार से ही दूर दिख रही है। मजबूर मजदूर क्या करें। रोटी का संकट खड़ा हो रहा है। इस सचाई को खुद विभाग के आंकड़े बयां कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 11:33 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 06:03 AM (IST)
रोजगार दूर, बेचारे बने मजदूर
रोजगार दूर, बेचारे बने मजदूर

बस्ती: गांव से बेरोजगारों का पलायन रोकने वाली मनरेगा, रोजगार से ही दूर दिख रही है। मजबूर मजदूर क्या करें। रोटी का संकट खड़ा हो रहा है।

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इस सच्चाई को खुद विभाग के आंकड़े बयां कर रहे हैं। 11 नवंबर तक जिले में 52.53 लाख मानव दिवस सृजन का लक्ष्य था। 34.32 लाख मानव दिवस का ही सृजन हो पाया है। 18.21 लाख दिवस का सृजन ही नहीं हो पाया। मजदूर पलायन को मजबूर हैं। रुधौली विकास खंड के चमरहिया ग्राम निवासी मनरेगा श्रमिक रामसोहरत ने बताया, समय से काम मिल रहा है और न पारिश्रमिक का भुगतान हो रहा है। मूड़ाडीहा खुर्द निवासी संतराम ने कहा, छह माह से काम नहीं मिला है। कुदरहा विकास खंड के मसुरिहा निवासी वीरेंद्र सिंह ने बताया तीन माह से काम नहीं मिला है।

जनपद के 1235 ग्राम पंचायतों में से 316 में मनरेगा से कोई काम नहीं चल रहा है। इनमें बहादुरपुर ब्लाक की 44, बनकटी 41, साऊंघाट 32, हर्रैया और कुदरहा विकास खंड की 30-30 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।हुआ है। प्रतिदिन 20 हजार मानव दिवस का सृजन किया जा रहा है। हर ग्राम पंचायत को कम से कम 10 काम कराना अनिवार्य है।

अरविद कुमार पांडेय, सीडीओ, बस्ती।


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