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टाइम शेड्यूल तय कर स्वअनुशासित हो लगन से करें पढ़ाई

सिविल जज सीनियर डिवीजन कुंवर मित्रेश सिंह कुशवाहा से मिले विद्यार्थी करियर से जुड़े तमाम सवालों का मिला सटीक जवाब

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 10:53 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 10:53 PM (IST)
टाइम शेड्यूल तय कर स्वअनुशासित हो लगन से करें पढ़ाई
टाइम शेड्यूल तय कर स्वअनुशासित हो लगन से करें पढ़ाई

जागरण संवाददाता, बस्ती : भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की जयंती के अवसर पर दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे बाल संवाद कार्यक्रम के जरिए छात्रों का करियर संवारने की पहल रंग ला रही है। कार्यक्रम में शरीक होने के लिए छात्र काफी उत्सुक हैं और अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। हो भी क्यों न ? अनुभवी, योग्य एवं सफल व्यक्ति का मार्गदर्शन पाकर उनके सपनों को पंख लग रहे हैं। सोमवार को विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों की मुलाकात जनपद न्यायालय के सिविल जज सीनियर डिवीजन एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुंवर मित्रेश सिंह कुशवाहा से न्यायालय सभागार में कराई। संवाद के दौरान विद्यार्थियों ने करियर एवं न्यायपालिका से जुड़े तमाम सवाल पूछे। न्यायाधीश ने एक-एक कर सभी को सटीक एवं उत्साह से लबरेज करने वाला जवाब दिया। विद्यार्थियों के लिए उनका बीज मंत्र था कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हुए टाइम शेड्यूल तय करें, फिर लगन से स्व अनुशासित होकर करें पढ़ाई। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश- प्रश्न: जूडिशियल सर्विसेज (पीसीएस-जे) की परीक्षा पास करने के बाद सबसे पहले क्या बनेंगे। वकालत को क्या मानते हैं?

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मयंक त्रिपाठी, कक्षा- 12

उत्तर : पहले यह परीक्षा कठिन थी। विधि स्नातक के बाद तीन साल प्रैक्टिस का अनुभव होना अनिवार्य था। 2003 में यह अनिवार्यता खत्म हुई। अब विधि स्नातक के तुरंत बाद आपका चयन हो सकता है। सबसे पहले मजिस्ट्रेट पद पर तैनाती होती है। इसके बाद प्रोन्नति के अनुसार ओहदा बढ़ता जाता है। वकालत भी बहुत अच्छी चीज है। योग्य अधिवक्ता हमेशा अपडेट रहते हैं। न्यायाधीश भी उनसे कई मामलों में राय लेते हैं। आशय यह कि कोई भी क्षेत्र हो विद्वता की पूजा हर जगह होती है।

प्रश्न : आइएएस बनने के लिए क्या करें?

दिव्यांश यादव, कक्षा- 10

उत्तर : सबसे पहले स्वस्थ रहिए। फिर अपना टाइम शेड्यूल तैयार करें। इसके अनुसार पढ़ाई करें। जो समय का पाबंद नहीं रहेगा उसका हर काम बिगड़ेगा। आपके भीतर असीम ऊर्जा है। जज्बे के साथ पढ़ाई करेंगे तो लक्ष्य मिलेगा। कंप्यूटर, इंटरनेट का उपयोग किया जाए लेकिन अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखकर।

प्रश्न : एक ऐसी व्यवस्था बने कि न्यायपालिका का निर्णय जनता के सुझाव पर दिया जाए?

मीनाक्षी शुक्ला, कक्षा- 11

उत्तर : यह संभव नहीं है। पहली बात मेरे देश के नागरिक साक्षर हैं लेकिन शिक्षित नहीं है। तमाम लोग अपना सुझाव नहीं रख पाएंगे। वैसे कोई भी नीति या कानून का निर्धारण बहुत साफ्ट ब्रेन के लोग करते हैं। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों का नीतिगत सुझाव निहित होता है। कानून का निर्माण हमारी विधायिका करती है। इसमें भी जनता का ही प्रतिनिधित्व होता है। प्रश्न : दिग्भ्रमित होने से कैसे बचा जाए?

देवांश मिश्र, कक्षा- 9 उत्तर : देखिए, समय की बहुत अहमियत है। सकारात्मक सोच रखेंगे तो ऐसी परिस्थिति नहीं आएगी। सुबह उठिए ताजी हवा का आनंद लें। व्यायाम और योगा भी करें। बीमारी नहीं होगी, मन, मतिष्क भी स्वस्थ रहेगा। विषयवार पढ़ाई करें। इसके लिए टाइम चार्ट भी बनाएं।

प्रश्न : सिविल सर्विसेज में आने के बाद किस तरह के चैलेंज होते हैं?

सौरभ शुक्ल, कक्षा-9

उत्तर : जीवन एक संघर्ष है। लाइफ में हर चीज चैलेंज है। सिविल सर्विसेज में आने के बाद दृढ़ता के साथ सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना होता है। यदि आप कलेक्टर है तो आपके जनपद में कोई भूख, गरीबी या इलाज के अभाव में न मरे, यही सबसे बड़ी चुनौती है। प्रश्न : मेरे लक्ष्य से अभिभावक संतुष्ट नहीं होते हैं, आइएएस अधिकारी पर राजनीतिक दबाव बहुत होता है?

सोनम सिंह कक्षा- 11 एवं आशुतोष जायसवाल कक्षा- 10

उत्तर : अपने कौशल से अभिभावक को संतुष्ट करिए। निश्चित वह आपका साथ देंगे। आइएएस अफसर पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होता है। जनता के लिए ईमानदारी से काम करने में कठिनाई नहीं होती है। स्वयं में ईमानदार बनिए, दूसरों को सुधारने की जरूरत नहीं है।

प्रश्न : भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं है। दंड भी प्राइवेट लोगों को मिलता है? सरकारी तंत्र बच जाता है? हम एकाग्र नहीं हो पाते हैं।

अश्वनी पांडेय, कक्षा-10, पायल सिंह, कक्षा- 11

उत्तर : न्यायपालिका अपने आप में स्वतंत्र संस्थान है। आमजन को अभी भी इस पर भरोसा है। हम कितने अच्छे हैं हमें सिर्फ इससे मतलब रखना चाहिए। अपनी सोसाइटी के लिए हम क्या कर रहे हैं इसका मूल्यांकन स्वयं करें। खास बातें

न्यायाधीश कुशवाहा ने कहा कि उन्हें संबंधित नौकरी पाने में दस साल लग गए। दो बार साक्षात्कार में मामूली अंक से चूक गए। तीसरी बार प्री परीक्षा भी नहीं पास कर पाए। लेकिन जज्बा कमजोर नहीं होने दिए। चौथे प्रयास में सफल हो गए। कहा कि हम डिनर के बाद नहीं पढ़ते थे। भोर में उठकर पढ़ाई करते थे। बच्चों को स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इन्होंने की सराहना

दैनिक जागरण का यह बाल संवाद कार्यक्रम सचमुच बहुत उपयोगी है। छात्र जीवन में एक कुशल व्यक्ति से संवाद का हम लोगों को सुनहरा मौका मिल रहा है।

मीनाक्षी शुक्ला, कक्षा- 11, जागरण पब्लिक स्कूल, बस्ती। न्यायाधीश से मिलकर तमाम तरह के सवालों का उत्तर मिला है। उनका मार्गदर्शन हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव डालेगा। इसके लिए दैनिक जागरण को धन्यवाद।

साक्षी मिश्रा, कक्षा- 10, दी सीएमएस, बस्ती। विद्यार्थियों के प्रति दैनिक जागरण की यह पहल सराहनीय है। हमारे मन की जिज्ञासा एक सफल व्यक्ति के द्वारा शांत की जा रही है। यह कार्यक्रम यादगार रहेगा।

दिव्यांग यादव, कक्षा- 10, डानवास्को स्कूल, बस्ती। दैनिक जागरण का यह बाल संवाद कार्यक्रम हम कभी नहीं भूलेंगे। इससे हमारा बौद्धिक विकास हो रहा है। इस कार्यक्रम को अखबार में नियमित पढ़ रहे हैं।

मयंक त्रिपाठी, कक्षा- 12, ओमनी इंटरनेशनल स्कूल, बस्ती।


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