सेवाभाव के साथ चलाया दवा का कारोबार
पिकौरा दत्तूराय निवासी संजय पाल की रंजीत चौराहे पर दवा की दुकान है। बताया कि लाकडाउन में मेडिकल स्टोर खोलने की अनुमति थी। निर्धारित अवधि में उनकी दुकान रोज खुलती रही। सबकी तरह उनको भी कोरोना संक्रमण का डर था। पूरी सुरक्षा के साथ मरीजों की सेवा में लग गए।
बस्ती : कोरोना की मार छोटे एवं मझोले कारोबार पर ही ज्यादातर रही। मेडिकल स्टोर का कारोबार भी इससे अछूता नहीं रहा। दुकानें खुली रहीं, लेकिन लाकडाउन अवधि में दवाओं के स्टाक में भारी कमी आ गई थी। गुजरात, दिल्ली, मुंबई आदि जगहों से विभिन्न कंपनियों की दवाएं नहीं पहुंच पा रहीं थीं। ट्रांसपोर्ट की सेवाएं भी ठप हो गईं थीं। शुरू के एक महीने तक उपलब्ध दवाओं से ही जैसे तैसे काम चल गया, लेकिन इसके बाद दवाओं की कमी ने खूब छकाया। मेडिकल स्टोर के संचालक संजय पाल के संघर्ष की कहानी प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि सेवा समझकर कारोबार चलाया गया। ग्राहकों को किसी तरह जोड़े रखा गया। अब बाजार की स्थिति सुधर रही है।
जरूरी दवाओं को लेकर हुआ संकट
पिकौरा दत्तूराय निवासी संजय पाल की रंजीत चौराहे पर दवा की दुकान है। बताया कि लाकडाउन में मेडिकल स्टोर खोलने की अनुमति थी। निर्धारित अवधि में उनकी दुकान रोज खुलती रही। सबकी तरह उनको भी कोरोना संक्रमण का डर था। पूरी सुरक्षा के साथ मरीजों की सेवा में लग गए। इस अवसर को उन्होंने कमाने की जगह सेवाभाव में बदला। चारों तरफ सब लोग परेशान थे, बड़ी उम्मीद के साथ आते थे। ऐसे में उनको कभी निराश नहीं किया। कई बार ऐसा भी मौका आया कि मरीजों के घर दवाएं खुद ही पहुंचानी पड़ी। लाकडाउन अवधि में बहुत बिक्री नहीं थी। क्योंकि 90 फीसद नर्सिंग होम एवं चिकित्सकों की क्लीनिक बंद चल रही थी। आमदनी घट गई तो तमाम खर्चों में कटौती करनी पड़ी। संयम और सजगता बरत कर दुकान की पूंजी नहीं टूटने दी।
कम पड़ गया था दवा का स्टाक
एक समय ऐसा आया, जब डायबिटीज बीपी, हार्ट एवं चेस्ट से संबंधित रोगियों के दवा का स्टाक खत्म हो गया था। थोक विक्रेताओं के यहां भी इसकी अनुपलब्धता थी। दवाओं का ट्रांसपोर्टेशन न होने से यह दिक्कत आई थी। कई बार निजी साधनों से जरूरी दवाएं लेने गोरखपुर और लखनऊ तक जानी पड़ी। मरीजों को जरूरत के अनुसार दवाएं देकर ग्राहकों को जोड़े रखा। एक समय ऐसा आ गया, जब उपलब्ध दवाओं से ही मरीजों की सेवा करनी पड़ी।
बचाव के हैं इंतजाम
कोरोना से बचाव का मुकम्मल इंतजाम दुकान में शुरू से है। सैनिटाइजेशन के अलावा काउंटर के बाहर बैरिकेडिग है। मरीजों के खड़े होने के लिए जगह भी चिह्नित है, ताकि दो गज की दूरी का पालन हो सके। लेनदेन नकदी कम से कम करते हैं। आनलाइन भुगतान की भी व्यवस्था है।