ग्राम पंचायतों ने हजम कर लिया सरकार का चार करोड़
ग्राम पंचायतों में एक बार फिर सरकारी रकम के साथ बड़ा खेल हो गया। टीडीएस कटौती का पांच साल चार करोड़ तेइस लाख ग्राम पंचायतों ने हजम कर लिया। पंचायती राज ग्राम पंचायतों में एक बार फिर सरकारी रकम के साथ बड़ा खेल हो गया। टीडीएस कटौती का पांच साल चार करोड़ तेइस लाख ग्राम पंचायतों ने हजम कर लिया। पंचायती राज विभाग में हुए इस घपलेबाजी को लेकर दोषियों की पहचान की जा रही है।
बस्ती: ग्राम पंचायतों में एक बार फिर सरकारी रकम के साथ बड़ा खेल हो गया। टीडीएस कटौती का पांच साल चार करोड़ तेइस लाख ग्राम पंचायतों ने हजम कर लिया। पंचायती राज विभाग में हुए इस घपलेबाजी को लेकर दोषियों की पहचान की जा रही है।
ग्राम पंचायतें ही कार्यदायी संस्था होती हैं। विकास का पैसा पंचायती राज विभाग से होते हुए पंचायतों के खाते में जाता है। बस्ती जिले में कुल 1235 ग्राम पंचायतें हैं। छोटी ग्राम पंचायत में भी साल में पांच- सात लाख रुपये सड़क,नाली,खडंजा और पथ प्रकाश के लिए दिए जाते हैं। बस्ती की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत गनेशपुर है। यहां का सालाना 90 लाख रुपये हैं। गांव के विकास को भेजे जाने वाले धन से आधा अधूरा कार्य करा बंदरबांट किए जाने की शिकायतें अक्सर सुनने को आती जाती हैं। ताजा मामला चौंकाने वाला है। ग्राम पंचायतों ने सामग्री खरीद की कागज में नियमानुसार टीडीएस की कटौती तो की लेकिन आयकर विभाग के खाते में जमा नहीं किया। सरकार का यह धन ग्राम पंचायतों ने हजम कर लिया। यह खेल एक दो महीने का नहीं बल्कि पांच साल का है।
अब सवाल यह है ग्राम पंचायतें टीडीएस की कटौती कर रिपोर्ट भेजती रहीं और जिला पंचायत राज अधिकारी सोते रहे। पांच साल कही अवधि में चार जिला पंचायत राज अधिकारी आए और गए। किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ग्राम पंचायतों में ग्राम निधियों के नियंत्रक अधिकारी जिला पंचायत राज अधिकारी हैं। ग्राम पंचायतों में कार्यरत रहे सचिवों के साथ ही जिला पंचायत राज अधिकारी भी इसके लिए बराबर के दोषी हैं।
सीए और लेखाकार से मांगी रिपोर्ट
जिला पंचायत राज अधिकारी विनय सिंह ने बताया वह जल्द ही आए हैं। यह मामला पुराना है। आयकर विभाग की नोटिस के क्रम में लेखाकार और नामित सीए से रिपोर्ट मांगी गई है। ग्राम पंचायतों में धन के रखरखाव और भुगतान की जिम्मेदारी सचिव की होती है। बस्ती में ग्राम पंचायतों में एकाउंटेंट नामित नहीं है,इसलिए यह मामला पकड़ में नहीं आया। आयकर मद के चार करोड़ के मामले की जांच कराई जाएगी। इसमें जो भी अधिकारी और कर्मचारी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अरविद कुमार पांडेय,मुख्य विकास अधिकारी