यातायात व्यवस्था के लिए चुनौती बने ई-रिक्शा
जागरण संवाददाता, बस्ती : शहर में ई-रिक्शा यातायात व्यवस्था के लिए चुनौती बन गए हैं। शहर में ई-रिक्शा के लिए कोई आधिकारिक स्टैंड न होने से चालक जहां जी में आया खड़े हो गए और सवारी भरने लगे। कभी-कभी तो सवारी को देख यह अचानक सड़क पर ही रुक जाते हैं, जिससे इनके पीछे चलने वाले लोग अचानक घबराकर अपने वाहनों ब्रेक लगा देते हैं। जो ऐसा नहीं कर पाते हैं वह हादसे का शिकार हो जाते हैं। इन पर न यातायात पुलिस कार्रवाई करती है और न ही परिवहन विभाग।
पिछले तीन वर्षों में बस्ती शहर में ई-रिक्शा का संचालन बढ़ा है। इसके पहले इक्का-दुक्का दिखने वाले ई-रिक्शा की संख्या इन दिनों 429 तक पहुंच गई है। इनमें अधिकतर शहर में ही चलते हैं। जिले में इनके संचालन का न तो रूट तय है और न ही शहर में इनके लिए नगर पालिका की ओर से कहीं अधिकृत स्टैंड बनाया गया है। ऐसे में यह बस्ती शहर में यातायात व्यवस्था के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। ई-रिक्शा चालक मनमर्जी से जहां चाहे वहीं रुक कर सवारी बैठाते हैं। शहर में कटरा पानी की टंकी, पुराना डाकखाना चौराहा, शास्त्री चौक, सिविल लाइन तिराहा, फौव्वारा तिराहा, कंपनीबाग तिराहा, रोडवेज तिराहा, अस्पताल, दक्षिण दरवाजा और रेलवे स्टेशन चौराहा आदि स्थानों पर ई-रिक्शा चालक अपने वाहनों को पार्क कर मनमाने तौर पर सवारी भरते हैं। कभी-कभी इनके कारण जाम भी लग जाता है। इन पर किसी का जोर नहीं चलता। यह निर्धारित मानक से ज्यादा सवारी तो बैठाते हैं साथ ई-रिक्शा का प्रयोग माल ढोने में भी करते हैं।
पंजीकरण के बाद इनके फिटनेस को लेकर भी कोई पूछताछ नहीं होती हैं। परिवहन विभाग में पिछले दो वर्ष से एआरटीओ का पद रिक्त चल रहा है। ऐसे में वाहनों की जांच व प्रवर्तन की कार्यवाही भी नहीं हो पा रही है।
व्यावसायिक वाहनों की तरह ई-रिक्शा के फिटनेस की भी जांच होती है। आठ वर्ष तक के वाहन की हर दूसरे वर्ष तो इससे अधिक उम्र वाले वाहनों की हर साल फिटनेस जांची जाती है। जिनका फिटनेस फेल होता है। उन पर नियमानुसार कार्यवाही होती है।
संजय कुमार दास, आरआइ