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अधिक उत्पादन के लिए अपनाएं नवीनतम तकनीक

उत्पादन के साथ ही किसानों की आय दोगुना करने पर जोर दिया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 93वें स्थापना दिवस पर किसान आय संवर्धन में तकनीकों का महत्व विषय पर वेबिनार-गोष्ठी का आयोजन किया गया। किसानों को जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव को कम करने के लिए हर मेड़ पर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया गया। पशुपालन विशेषज्ञ डा. डीके श्रीवास्तव ने कहा कि इस समय विश्व जैविक खेती को अपनाकर मृदा एवं वातावरण के स्वास्थ्य को सुधारा जा रहा है। पशुपालन आधारित खेती को अपनाना चाहिए जिससे न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि खेतो में गोबर गोमूत्र वर्मी-कंपोस्ट नाडेप ढैंचा सनई आदि का प्रयोग कर के जैविक उत्पादों को बाजार में बेचकर अधिक आय अर्जित कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 05:45 PM (IST)
अधिक उत्पादन के लिए अपनाएं नवीनतम तकनीक
अधिक उत्पादन के लिए अपनाएं नवीनतम तकनीक

बस्ती: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह एवं निदेशक प्रसार प्रो. एपी राव ने कृषि आधारित नवीनतम तकनीकों को किसानों के खेत तक पहुंचाने के लिए निर्देशित किया। कहा कि किसान नवीनतम तकनीक अपनाकर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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उत्पादन के साथ ही किसानों की आय दोगुना करने पर जोर दिया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 93वें स्थापना दिवस पर किसान आय संवर्धन में तकनीकों का महत्व विषय पर वेबिनार-गोष्ठी का आयोजन किया गया। किसानों को जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव को कम करने के लिए हर मेड़ पर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया गया। पशुपालन विशेषज्ञ डा. डीके श्रीवास्तव ने कहा कि इस समय विश्व जैविक खेती को अपनाकर मृदा एवं वातावरण के स्वास्थ्य को सुधारा जा रहा है। पशुपालन आधारित खेती को अपनाना चाहिए जिससे न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि खेतो में गोबर, गोमूत्र, वर्मी-कंपोस्ट, नाडेप, ढैंचा, सनई आदि का प्रयोग कर के जैविक उत्पादों को बाजार में बेचकर अधिक आय अर्जित कर सकते हैं।

फसल उत्पादन वैज्ञानिक डा. आरवी सिंह ने खरीफ ़फसलों की उत्पादन तकनीक पर चर्चा करते हुए बताया की लागत को कम करने के लिए जीरो बजट आधारित खेती को अपनाने की आवश्यकता है। इससे गावं के आस-पास के संसाधनों का प्रयोग कर के कम लागत में अधिक उत्पादन एवं आय अर्जित कर सकते हैं। फसल सुरक्षा विशेषज्ञ प्रेम शंकर ने खरीफ फसलों में रोग व कीट के प्रबंधन पर चर्चा करते हुए कहा की खेती के साथ-ही-साथ मधुमक्खी पालन एवं मशरुम उत्पादन व्यवसाय को भी अपनाना चाहिए, इससे किसानों को स्वरोजगार एवं अतिरिक्त आय अर्जित हो सकती है। कार्यक्रम का सजीव चित्रण भी किसानों को दिखाया गया।


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