चौरासी कोसी परिक्रमा पर कोरोना का ग्रहण
लॉकडाउन के चलते सदियों पुरानी परंपरा टूटी
बस्ती: कोरोना का ग्रहण धार्मिक आयोजनों व अनुष्ठान पर भी लगा है। प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा के दिन मखौड़ा धाम पर मनवर में स्नान के पश्चात शुरू होने वाली परंपरागत चौरासी कोसी परिक्रमा इस वर्ष स्थगित कर दी गई है। परिक्रमा बुधवार पूर्णिमा के दिन से शुरू होनी थी।
अयोध्या, चित्रकूट, प्रयागराज, मथुरा सहित अन्य प्रदेशों के साधु संत तथा पड़ोसी देश नेपाल से आने वाले श्रद्धालुओं का जत्था इस बार नहीं पहुंचा। मखौड़ा की गलियां सूनी है। अयोध्या धाम के गया मंदिर के संत गयादास ने कहा कि समाज है तो धर्म है। परिक्रमा स्थगित कर हम साधु संत हवन पूजन से जगत कल्याण के लिए आराध्य से प्रार्थना करेंगे। मखौड़ा धाम श्रीराम मंदिर पश्चिमी के महंत सिद्धूदास ने कहा कि चैत्र पूर्णिमा पर इस बार 21 दिनों तक केवल भजन कीर्तन चलेगा। ये है परिक्रमा की महत्ता
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अवध धाम की सांस्कृतिक सीमा 84 कोस में फैली है। मान्यता है कि अवध प्रांत के 84 कोस में फैले अयोध्या बस्ती गोंडा अम्बेडकर नगर बाराबंकी जिलों के 21 दिन की पैदल यात्रा में करीब 250 धार्मिक स्थलों की परिक्रमा करने से प्राणी 84 लाख योनियो में जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।