डिजिटल उपकरण से बच्चे सीख रहे वैज्ञानिक बनने के गुर
भौतिक विज्ञान का प्रयोगशाला बना नजीर लगे डिजिटल उपकरण - वाटर गैस प्लांट न होने से है समस्या शिक्षक नियमित लेते हैं क्लास
बस्ती : बस्ती के अधिकतर इंटर कालेजों में जहां प्रायोगिक कक्षाएं महज रस्म अदायगी बनती जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ खैर इंटर कालेज की प्रयोगशाला आईना दिखाने वाला है। यहां विज्ञान के छात्र प्रयोगशाला में न केवल नियमित प्रयोग करते हैं बल्कि डिजिटल उपकरण के जरिये छात्र-छात्राएं वैज्ञानिक बनने के गुर सीख रहे हैं। यहां बच्चे के साथ ही शिक्षक भी प्रायोगिक कक्षाओं में रुचि रखते हैं।
भौतिक विज्ञान का प्रयोगशाला डिजिटल हो गया है। पुराने उपकरण के बजाए इलेक्ट्रानिक उपकरण का प्रयोग हो रहा है। बच्चे भी इसमें काफी तेजी से प्रयोग करते हैं। सेमी कंडक्टर, डायोडवाल इलेक्ट्रानिक विधि का यंत्र है। शिक्षक मो. रफी ने बताया कि अब मैनुअल का दौर खत्म हो रहा, इसलिए डिजिटल यंत्र से प्रयोग करा रहे। 150 बच्चे प्रयोग करते हैं। यहां जीव विज्ञान की प्रयोगशाला भी सुव्यवस्थित दिखी। विभिन्न जीव व कंकाल जार में दिखे। प्रभारी शिक्षक तफज्जुल हुसैन ने कहा यहां प्रतिदिन बच्चे प्रयोग करते हैं। सभी उपकरण उपलब्ध हैं। कक्षा 11 में 80, कक्षा 12 में 44 बच्चे प्रयोग करते हैं।
रसायन विज्ञान का भी प्रयोगशाला है। शिक्षक वहीदुद्दीन मलिक प्रयोग कराते हैं। वाटर व गैस प्लांट की सुविधा नहीं है। मैनुअल से काम चलाया जाता है। सप्ताह में दो दिन यानी चार पीरियड बच्चे प्रयोग करते हैं। लैब अटेंडेंट की कमी यहां भी है।
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कालेज का है गौरवशाली इतिहास :
खैर इंटर कालेज 1846 स्थापित हुआ। 1850 से लैब का संचलन हो रहा है। यहां पढ़े तमाम छात्र वैज्ञानिक, इंजीनियर, डाक्टर, आइएएस व पीसीएस अफसर हैं। जन्नत हुसैन, नूर मोहम्मद, माजिद अली, अब्दुल खालिक, उदय प्रताप सिंह, राम अनुज चौधरी आइएएस बने जबकि विजय बहादुर सिंह पीसीएस, डा. अहमद उमर रिसर्च साइंटिस्ट दक्षिण कोरिया, डा. सैफ अहमद वैज्ञानिक यूएसए शामिल हैं।
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विद्यालय में प्रतिदिन प्रयोग होते हैं, डिजिटल लैब की सुविधा उपलब्ध है। कोशिश होगी कि लैब को और अत्याधुनिक बनाया जाए। विज्ञान प्रयोगशाला का अलग भवन है, जहां बच्चे बिना किसी शोर-गुल के प्रयोग करते हैं।
मो. यहिया प्रधानाचार्य बालिकाओं में भी वैज्ञानिक बनने की ललक फोटो 7,8,11
बस्ती : बेगम खैर गर्ल्स इंटर कालेज में वैसे तो रसायन, भौतिक व जीव विभाग के लैब है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते बालिकाओं को प्रयोग में समस्या हो रही है। कम संसाधन में भी यहां बालिकाएं थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल कर वैज्ञानिक बनने को आतुर हैं। यहां वित्तविहीन व्यवयस्था के तहत प्रयोगशाला संचालित है।
वर्ष 1968 से यह विद्यालय संचालित है। वर्ष 1999 से लैब का संचलन हो रहा है। भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला में उपकरण लगे हैं। शिक्षक प्रेमलता मिश्र लैब में छात्राओं को उपकरण के प्रयोग की विधि बताती दिखीं। 188 बच्चे लैब में प्रयोग करते हैं। रसायन विज्ञान में इलेक्ट्रानिक रासायनिक तुला से अब प्रयोग हो रहा है। वाटर-गैस प्लांट की समस्या बनी हुई है। बच्चे बाल्टी में पानी भरकर लाते हैं, फिर प्रयोग करते हैं। शिक्षक संगीता श्रीवास्तव, सुप्रभा पांडेय ने कहा यहां आधुनिक उपकरण से प्रयोग कराया जाता है।
जीव विज्ञान का प्रयोगशाला छोटा है। उपकरण तो हैं लेकिन अव्यवस्थित होने के चलते छात्राओं को परेशानी हो रही है। जीवाम हैं लेकिन शीशे की आलमारी नहीं है। कालेज में पढ़कर अब प्रीती सिंह एम्स में डाक्टर हैं, दीपा गुप्ता सीतापुर में सर्जन हैं। भावना प्रबंधक, प्रियंका शर्मा केजीएमसी में डाक्टर हैं, ममता शुक्ला पीसीएस हैं।
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वित्तविहीन व्यवस्था से लैब संचालित है। प्रतिदिन प्रयोग होता है। प्रयोग के दौरान तेजाब गिरने से मेज और आलमारी खराब हो जाती है। नया मेज जल्द लग जाएगा। इलेक्ट्रानिक उपकरण भी लगे हैं। 30-30 का बैच बनाकर छात्राओं को प्रयोग कराया जाता है।
नीलोफर उस्मानी, प्रधानाचार्य
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विद्यालयों में विज्ञान प्रयोगशाला है। नियतित रिपोर्ट ली जाती है। भ्रमण कर स्थिति जांची जाती है। खामियों पर सुधार के निर्देश दिए जाते हैं।
डा. बृजभूषण मौर्य, डीआइओएस